एक तरफ राजस्थान हाईकोर्ट की नाराजगी है तो दूसरी तरफ राज्यपाल कल्याण सिंह की जिद। कुछ ऐसे ही हालात से महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय पिछले तीन महीने से जूझ रहा है। यहां कुलपति के कामकाज पर रोक के चलते जबरदस्त नुकसान हो रहा है।
लक्ष्मीनारायण बैरवा की जनहित याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग की खंडपीठ ने बीती 11 अक्टूबर को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह को नोटिस जारी कर 26 अक्टूबर तक कामकाज पर रोक लगाई थी। पांच सुनवाई के बाद खंडपीठ ने यह रोक जनवरी के दूसरे सप्ताह तक बढ़ा दी है।
कामकाज पर जबरदस्त असर
कुलपति की गैर मौजूदगी से विश्वविद्यालय में करीब डेढ़ महीने से कामकाज प्रभावित है। कई वित्तीय और प्रशासनिक मामलों की फाइल अटकी हुई हैं। कर्मचारियों के सातवें वेतनमान के फिक्सेशन नहीं हो पाए हैं। चार सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भुगतान नहीं मिल पाया है। रूसा के बजट सहित अन्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
कुलपति की गैर मौजूदगी से विश्वविद्यालय में करीब डेढ़ महीने से कामकाज प्रभावित है। कई वित्तीय और प्रशासनिक मामलों की फाइल अटकी हुई हैं। कर्मचारियों के सातवें वेतनमान के फिक्सेशन नहीं हो पाए हैं। चार सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भुगतान नहीं मिल पाया है। रूसा के बजट सहित अन्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
यूनिवर्सिटी की किसे परवाह..
विधानसभा में 2017 में सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक्ट में संशोधन किया गया था। संशोधित एक्ट के मुताबिक किसी भी विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति के निधन होने/कार्यकाल समाप्त होने/अन्य कोई कारण होने पर संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति तुरन्त राजभवन को सूचना देंगे। राज्यपाल सरकार से परामर्श कर किसी दूसरे विश्वविद्यालय के कुलपति को अस्थाई प्रभार सौंपेंगे। यह एक्ट लागू होने के बाद सरकार और राजभवन तमाशा देख रहे हैं। यहां 12 अक्टूबर से ही कुलपति का पद रिक्त है। लेकिन राजभवन और सरकार ने कार्यवाहक कुलपति नियुक्त नहीं किया है।
विधानसभा में 2017 में सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक्ट में संशोधन किया गया था। संशोधित एक्ट के मुताबिक किसी भी विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति के निधन होने/कार्यकाल समाप्त होने/अन्य कोई कारण होने पर संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति तुरन्त राजभवन को सूचना देंगे। राज्यपाल सरकार से परामर्श कर किसी दूसरे विश्वविद्यालय के कुलपति को अस्थाई प्रभार सौंपेंगे। यह एक्ट लागू होने के बाद सरकार और राजभवन तमाशा देख रहे हैं। यहां 12 अक्टूबर से ही कुलपति का पद रिक्त है। लेकिन राजभवन और सरकार ने कार्यवाहक कुलपति नियुक्त नहीं किया है।