महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में वैदिक पार्क का काम शुरू होने का इंतजार है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्मार्ट सिटी योजना में प्रस्ताव भेजा था, पर फिलहाल इसे मंजूरी नहीं मिल पाई है। विश्वविद्यालय में ऋषि दयानंद चेयर सहित वैदिक पार्क बनाया जाना है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास, जल संसाधन और गंगा पुनुरुद्धार मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने साल 2017 में ऋषि मेले के दौरान इसकी घोषणा की थी। पर्यावरण विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर ने यूजीसी में महर्षि दयानंद सरस्वती चेयर और वैदिक पार्क की योजना की विस्तृत जानकारी दी। अथक प्रयासों से विश्वविद्यालय को दयानंद चेयर स्वीकृत हो गई। लेकिन वैदिक पार्क योजना का अता-पता नहीं है।
स्मार्ट सिटी योजना से उम्मीद
यूजीसी और उच्च स्तरीय प्रयासों में विलम्ब को देखते हुए विश्वविद्यालय ने स्मार्ट योजना की तरफ कदम बढ़ाए। प्रस्तावित वैदिक पार्क योजना पर अजमेर विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी योजना के अधिकारियों से चर्चा की गई। इसका प्रस्ताव भी भेजा गया। फिलहाल वैदिक पार्क के निर्माण कार्य की मंजूरी नहीं मिल पाई है। मालूम हो कि विश्वविद्यालय ने वैदिक पार्क के लिए कुलपति निवास के समक्ष भूमि चिन्हित की है।
यूजीसी और उच्च स्तरीय प्रयासों में विलम्ब को देखते हुए विश्वविद्यालय ने स्मार्ट योजना की तरफ कदम बढ़ाए। प्रस्तावित वैदिक पार्क योजना पर अजमेर विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी योजना के अधिकारियों से चर्चा की गई। इसका प्रस्ताव भी भेजा गया। फिलहाल वैदिक पार्क के निर्माण कार्य की मंजूरी नहीं मिल पाई है। मालूम हो कि विश्वविद्यालय ने वैदिक पार्क के लिए कुलपति निवास के समक्ष भूमि चिन्हित की है।
चेयर की शुरुआत का इंतजार यूजीसी ने बीते वर्ष विश्वविद्यालय को महर्षि दयानंद सरस्वती चेयर स्वीकृत की है। चेयर के लिए 55 से 70 साल तक के ख्यातनाम विद्वान (वैदिक अध्ययन के ज्ञाता) को पांच साल के लिए नियुक्ति दी जाएगी। प्रोफेसर का चयन विज्ञापन के जरिए रिक्ति आमंत्रित, कुलपति द्वारा तीन सदस्यीय चयन समिति के गठन के आधार पर करनी होगी। इसके अलावा किताबों-जर्नल्स के लिए 1.50 लाख रुपए सहित यात्रा-भत्ता, सचिवालय सहायता और अन्य कार्य के लिए बजट मिलेगा। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर रोक के चलते दयानंद चेयर का विधिवत कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है।
महर्षि दयानंद का अजमेर से नाता
महर्षि दयानंद सरस्वती का अजमेर से खास नाता रहा है। 1883 में उनका आगरा गेट स्थित भिनाय कोठी में ही निर्वाण हुआ था। उनका अंतिम संस्कार पहाडग़ंज स्थित ऋषि निर्वाण स्थल में किया गया था। पुष्कर रोड पर आनासागर के किनारे ऋषि आश्रम बना हुआ है। यहां प्रतिवर्ष ऋषि मेले का आयोजन होता है।
महर्षि दयानंद सरस्वती का अजमेर से खास नाता रहा है। 1883 में उनका आगरा गेट स्थित भिनाय कोठी में ही निर्वाण हुआ था। उनका अंतिम संस्कार पहाडग़ंज स्थित ऋषि निर्वाण स्थल में किया गया था। पुष्कर रोड पर आनासागर के किनारे ऋषि आश्रम बना हुआ है। यहां प्रतिवर्ष ऋषि मेले का आयोजन होता है।