अजमेर

‘भारत माता का मस्तक हमको प्राणों से भी प्यारा है…’

सरवाड़ नगर पालिका की ओर से हुआ कवि सम्मेलन, छूटे हंसी के फव्वारे, जमकर चले व्यंग्य बाण

अजमेरSep 17, 2024 / 02:22 am

dinesh sharma

सरवाड़ में आयोजित कवि सम्मेलन में मौजूद श्रोता।

सांपों को दूध पिलाने के अच्छे अंजाम नहीं होते, जाति-धर्म की बात नहीं पर, सभी कलाम नहीं होते… प्रख्यात कवि योगेन्द्र शर्मा की कविता की इन पंक्तियों ने रविवार रात काव्य महफिल के हर लम्हे को यादगार बना दिया। सरवाड़ नगर पालिका के तत्वावधान में ‘काव्य कलश’ कवि सम्मेलन का आगाज कवयित्री शिवांगी शर्मा प्रेरणा ने सरस्वती वंदना से किया। उन्होंने आज हृदय अंबर में मेरे उदय हुआ है गीत, ओ मेरे मनमीत-सुन मेरे मनमीत… व एक नजर देख कर ही चयन कर लिया, नैन अपने झुककर नमन कर लिया… की प्रस्तुति दी।

कुछ किया जाए की हंसी लौटे

कवि हिमांशु बवंडर की कविता पसरे हुए हैं सन्नाटे…, कुछ किया जाए की हंसी लौटे… को श्रोताओं ने सराहा। कवि योगेन्द्र शर्मा ने कश्मीर के जर्रे-जर्रे पर अधिकार हमारा है, भारत माता का मस्तक हमको प्राणों से भी प्यारा है… व हार नहीं मानी हमने युग के चांद सितारों से, लेकिन अक्सर हार गए हम घर के ही गद्दारों से… प्रस्तुत की तो पांडाल भारत मां की जय से गूंज उठा।

पैरोडियों से लोगों को हंसाया

गीतकार राजेंद्र गोपाल व्यास ने जाने क्या बात है इस मुलाकात में, गीत झर-झर झरे आज की रात में… व पनघट का भाटा पर खींच्यो आवे रे, कोरो छुगल्यो गुड़-गुड़ करतो जल भर लावे रे… की प्रस्तुति दी। जयपुर के कवि केसरदेव मारवाड़ी, केकड़ी के कमलेश शर्मा व बारां के मारुति नंदन ने भी पैरोडियों से लोगों को हंसाया। सम्मेलन का संचालन कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने किया। लोकरंजक गीत गोरी सावन मार गयो थारो रे, परण्या पाछे छोरा ने तू करगी फेर कुंवारो रे… पर श्रोताओं ने ठहाके लगाए।

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