मालगाडिय़ों के लिए बिछाई जाने वाली नई रेल लाइन (डीएफसी) की जद में आने वाले मकानों को अवाप्त करने की तैयारी शुरू हो गई है। कम मुआवजा मिलने सहित अन्य विवादों की वजह से अब तक प्रभावित परिवार डीएफसीसी की खिलाफत कर रहे थे। प्रभावित परिवारों की घर बचाओ संघर्ष समिति के सचिव शक्तिसिंह चौहान को सुभाषनगर में पुलिस ने हिरासत में लेने का प्रयास किया।
परिवारों और पुलिस के बीच कहासुनी इस वजह से प्रभावित परिवारों और पुलिस के बीच कहासुनी हो गई। चौहान ने पुलिस ज्यादती का आरोप लगाते हुए वहां से गुजर रही मालगाड़ी के आगे कूदने का प्रयास भी किया। हालांकि क्षेत्रवासियों के बीचबचाव के बाद पुलिस वहां से लौट गई।
मकान खाली करने से इन्कार जिला प्रशासन, डीएफसीसी अधिकारियों और प्रभावित परिवारो के बीच मकान खाली करने के लिए बैठक भी हुई थी। लेकिन संभागीय आयुक्त न्यायालय के फैसले से पहले परिवारों ने मकान खाली करने से इन्कार कर दिया। समिति सचिव चौहान ने बताया कि अवाप्ति प्रक्रिया को लेकर उच्च न्यायालय के निर्देशों की पालना नहीं की गई है। परिवारों के पुनर्वास के लिए संभागीय आयुक्त न्यायालय को शीघ्र ही निर्णय देना है। इसके बावजूद डीएफसीसी और जिला प्रशासन की ओर से परिवारों पर परियोजना के लिए मुआवजा लेने और मकान खाली करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
यह है मामला दिल्ली से मुम्बई के बीच मालगाडिय़ों के लिए नई रेलवे लाइन बिछाई जा रही है। लगभग 1500 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का मामला अजमेर के मदार से सुभाषनगर के बीच मकानों की अवाप्ति प्रक्रिया के कारण अटका हुआ है। प्रभावित परिवार मुआवजा बाजार दर से देने की मांग कर रहे है। विभिन्न अदालतों और विवादों के बीच अवाप्ति प्रकिया पिछले दस साल से अटकी हुई है। पिछले माह से डीएफसीसी और जिला प्रशासन ने योजना के दायरे में आने वाले मकानों का कब्जा लेने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। डीएफसीसी परियोजना अजमेर के मदार से सुभाषनगर तक मौजूदा रेलवे लाइन के समानांतर होकर निकलेगी। इसके लिए जमीन अवाप्ति प्रक्रिया चल रही है। मदार से सुभाषनगर के बीच अनेक मकान और खाली भूखंड परियोजना की जद में आ रहे हैं। इन्हें रेलवे लाइन के लिए हटाया जाना है।