डायरी में दवाओं के नाम पर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। वित्त विभाग ने पेंशनर मेडिकल डायरी की जांच कराई तो परतें खुलती चली गईं। डायरी के नाम पर महंगी दवाइयां बिना बीमारी के लिखी जा रही हैं।
यह दवाइयां केवल कागजों में ही उठ रही हैं। मेडिकल डायरी में मिली अनियमिताओं पर अंकुश लगाने के लिए निदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (जन स्वास्थ्य) श्यामलाल गुर्जर ने पेंशनर मेडिकल डायरी को लेकर विशेष आदेश जारी किए। इनमें अब मेडिकल डायरी में दिल खोलकर दवाइयां लिखने वाले चिकित्सकों पर नकेल कसने की तैयारी विभाग ने कर ली है।
लाखों उठने के बाद हुई जांच मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना शुरू होने के बावजूद हर साल पेंशनर मेडिकल डायरी के नाम पर लाखों की दवाइयां उठ रही हैं, जबकि सरकार दवाइयों को नि:शुल्क मुहैया करा रही है। उपचार नि:शुल्क हो रहा है। इसके बावजूद आंकड़ा लगातार बढऩे से वित्त विभाग के निर्देश पर निरीक्षण विभाग ने जांच करवाई तो अनियमिताएं सामने आईं।
यूं कसेगी लगाम – मेडिकल डायरी में कार्बन प्रति से दवा नहीं लिख सकेंगे – डायरी के अलावा अतिरिक्त पर्ची पर कोई दवा नहीं लिखेंगे। – मेडिकल डायरी में दवा लिखने के बाद चिकित्सक अपना पंजीकरण नम्बर भी इन्द्राज करेंगे।
– चिकित्सक मरीज को दी जाने वाली दवाओं की भाषा स्पष्ट पठनीय लिखेंगे। -मेडिकल डायरी में दवा के आगे मरीज की बीमारी का नाम स्पष्ट शब्दों में हर पेज पर इन्द्राज करेंगे। – मरीज को दवा दिए जाने के साथ ही कितनी मात्रा में किस बीमारी की दवाइयां कितनी अवधि तक ली जानी हैं। सप्ताह या दिन में कितनी दवा कब लेनी है। इनकी संख्या भी स्पष्ट लिखेंगे।
– एक ही चिकित्सक अलग-अलग पर्चियों पर अलग भाषा में या शब्दों में दवा नहीं लिखेंगे या किसी अन्य से नहीं लिखवाएंगे, स्वयं की लिखी दवाइयां ही अब मान्य होंगी। निदेशालय से आज ही आदेश मिले हैं। कल आउटडोर शुरू होने के बाद सभी को पाबंद करा दिया जाएगा। चिकित्सक बिना रजिस्ट्रेशन नंबर लिखे व बिना सील लगाए मेडिकल डायरी में दवाइयां नहीं लिखेंगे।
-डॉ. एम. के. जैन, पीएमओ अमृतकौर चिकित्सालय, ब्यावर