अजमेर

स्टूडेंट्स हो जाएं सावधान, वरना हो सकता है यह बड़ा नुकसान

खुद से प्रतिस्पर्धा, कमजोरियों को दूर करने और आत्म अवलोकन के गुण विकसित करने होंगे।

अजमेरJun 03, 2019 / 08:04 pm

raktim tiwari

Technocrates in India

अजमेर.
औद्योगिक मांग के अनुसार संस्थान विद्यार्थी तैयार नहीं कर रहे हैं। महज तीस फीसदी विद्यार्थियों को मुश्किल से रोजगार मिल रहा है। सत्तर फीसदी नौजवानों का शैक्षिक, तकनीकी और अन्य पैमाने पर खरे नहीं उतरना चिंताजनक है। इसे बदलने की जरूरत है। यह बात केंद्रीय परियोजना परामर्शदाता (टेक्यूप-तृतीय)की रिपोर्ट में सामने आई है।
बीते साल प्रो. प्रकाश मोहनराव खोडक़े दीक्षान्त समारोह में अजमेर आए थे। उन्होंने बताया था कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में युवाओं को खुद को बनाए रखना चुनौतिपूर्ण है। पिछले दस-बीस साल में देश में भरपूर स्कूल, कॉलेज, तकनीकी शिक्षण संस्थान खुले, लेकिन महज 23 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को ही इनमें पढऩे का अवसर मिल रहा है। 77 प्रतिशत विद्यार्थी ड्रॉप आउट या अन्य कारणों से शिक्षा ग्रहण नहीं कर रहे। संस्थानों में औद्योगिक मांग के अनुसार विद्यार्थी तैयार नहीं हो रहे।
खुद स्टूडेंट्स हैं जिम्मेदार
रिपोर्ट में बताया गया कि नाकामी के पीछे स्वयं विद्यार्थी भी उत्तरदायी हैं। केवल गुरुओं, शिक्षण व्यवस्था पर दोषारोपण के बजाय उन्हें खुद से प्रतिस्पर्धा, कमजोरियों को दूर करने और आत्म अवलोकन के गुण विकसित करने होंगे। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सिक्किम के निदेशक प्रो. एम. सी. गोविल भी मानते हैं, कि राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तेज-तर्रार युवाओं और दक्ष इंजीनियर की जरूरत है। इसके लिए उन्हें व्यक्तित्व विकास, सशक्त संवाद, विषय ज्ञान और परियोजना आधारित समझबूझ जरूरी है।
ये जताई चिंता
-विद्यार्थी-संस्थाएं सामाजिक उत्तरदायित्व से हो रहे दूर
-भुला रहे अभिभावकों और गुरुओं का योगदान
-औद्योगिक मांग और आपूर्ति में लगातार बढ़ रहा अन्तर
-बढ़ी खुद को श्रमिक समझने और पैकेज के पीछे भागने की प्रवृत्ति
-नौजवान उद्यमिता अपनाने, जोखिम उठाने और निवेश में पीछे
-कम उम्र में बढ़ रहा युवाओं में मानसिक तनाव
-कमियां दूर करने के बजाय दोषारोपण-निरर्थक बहस

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