राज्य के सभी कॉलेज (colleges) और विश्वविद्यालय (universities) में छात्रसंघ चुनाव 27 अगस्त को होंगे। इनमें अजमेर के सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, राजकीय कन्या महाविद्यालय, राजकीय आचार्य संस्कृत कॉलेज, श्रमजीवी, दयानंद कॉलेज, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय सहित पुष्कर, सरवाड़, नसीराबाद, ब्यावर, केकड़ी और अन्य कॉलेज शामिल हैं। चुनाव लडऩे के इच्छुक छात्र (boys)-छात्राओं (girls) को टिकट (ticket)का बेसब्री से इंतजार है। उधर एनएसयूआई, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और अन्य छात्र संगठनों के पदाधिकारी योग्य प्रत्याशियों की तलाश में जुट गए हैं।
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कॉलेज और विश्वविद्यालय के भावी ‘ नेता’ (students leaders)जोर-शोर से चुनाव तैयारियों जुट गए हैं। सर्वाधिक नजरें 8 हजार विद्यार्थियों वाले सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (spc-gca ajmer) पर टिकी हैं। यहां पिछली बार एनएसयू्आई (NSUI)ने अध्यक्ष पद जीता था। इस बार छात्राओं के अलावा कुछ छात्राएं भी अध्यक्ष पद पर ताल ठोकने की तैयारी में है। यहां अभाविप (ABVP) पिछले चुनाव में मिली हार का बदला चुकाने और एनएसयूआई सीट बरकरार रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। राजकीय कन्या महाविद्यालय में पिछले साल एबीवीपी ने चारों पद जीतकर एनएसयूआई को जबरदस्त चित्त किया था। यहां दोनों संगठन से जुड़ी छात्राएं दावेदारी में जुटी हुई हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) में पिछले साल मात खा चुकी एनएसयूआई फिर अध्यक्ष पद जीतने की तैयारियों में जुटी है। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अध्यक्ष पद के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।
कॉलेज और विश्वविद्यालय के भावी ‘ नेता’ (students leaders)जोर-शोर से चुनाव तैयारियों जुट गए हैं। सर्वाधिक नजरें 8 हजार विद्यार्थियों वाले सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (spc-gca ajmer) पर टिकी हैं। यहां पिछली बार एनएसयू्आई (NSUI)ने अध्यक्ष पद जीता था। इस बार छात्राओं के अलावा कुछ छात्राएं भी अध्यक्ष पद पर ताल ठोकने की तैयारी में है। यहां अभाविप (ABVP) पिछले चुनाव में मिली हार का बदला चुकाने और एनएसयूआई सीट बरकरार रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। राजकीय कन्या महाविद्यालय में पिछले साल एबीवीपी ने चारों पद जीतकर एनएसयूआई को जबरदस्त चित्त किया था। यहां दोनों संगठन से जुड़ी छात्राएं दावेदारी में जुटी हुई हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) में पिछले साल मात खा चुकी एनएसयूआई फिर अध्यक्ष पद जीतने की तैयारियों में जुटी है। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अध्यक्ष पद के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।
read more: mdsu ajmer: सीए-सीएस और जर्नलिस्ट नहीं कर सकते पीएचडी समुदाय पर नजरें, जिताऊ को तवज्जो पिछले चुनावों की तरह इस बार भी प्रत्याशियों को जातिगत (cummunity politics)आधार पर टिकट मिलेंगे। अधिकांश कॉलेज और विश्वविद्यालय में जाट, राजपूत, ब्राह्मण, माली सहित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थी ज्यादा हैं। छात्र संगठनों के पदाधिकारी (Students leader) सर्वाधिक समुदाय और जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश में है।
read more: छात्र संघ चुनाव पर पुलिस की कड़ी नजर ….ईवीएम और नोटा का इस्तेमाल मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट (supreme court of india)ने साल 2017 में सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को नोटा (NOTA) के इस्तेमाल के निर्देश दिए थे। यह सुविधा केवल सिर्फ ईवीएम (EVM)में उपलब्ध है। निर्देशों के बावजूद राज्य सरकार और संस्थाओं ने ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर (ballaot paper) से चुनाव कराए। इस बार भी सरकार और संस्थाएं गंभीर नहीं लग रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court of india)ने साल 2017 में सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को नोटा (NOTA) के इस्तेमाल के निर्देश दिए थे। यह सुविधा केवल सिर्फ ईवीएम (EVM)में उपलब्ध है। निर्देशों के बावजूद राज्य सरकार और संस्थाओं ने ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर (ballaot paper) से चुनाव कराए। इस बार भी सरकार और संस्थाएं गंभीर नहीं लग रही हैं।