बिजली के साथ गैस से भी होगा संचालित
पहाडग़ंज में बनने वाला विद्युत शवदाह एडवांस टक्नोलॉजी से चलेगा। इसे विद्युत नहीं होने पर गैस के जरिए भी संचालित किया जा सकेगा। इलेक्ट्रिक शवदाहगृह में अंतिम संस्कार में समय भी कम लगता है। इसके निर्माण पर 59 लाख रूपए खर्च होने हैं।
पहाडग़ंज में बनने वाला विद्युत शवदाह एडवांस टक्नोलॉजी से चलेगा। इसे विद्युत नहीं होने पर गैस के जरिए भी संचालित किया जा सकेगा। इलेक्ट्रिक शवदाहगृह में अंतिम संस्कार में समय भी कम लगता है। इसके निर्माण पर 59 लाख रूपए खर्च होने हैं।
कोटा से भरी जा रही अजमेर में हाजिरी अभियंता शवदाहगृह का ठेका देने के बाद उसकी प्रोग्रेस की जानकारी ही नहीं ले रहे। स्मार्ट सिटी का कोई अभियंता यह देखने ही नहीं पहुंचा की अब तक कितना काम हुआ कितना नहीं। कोरोना के नाम पर अभियंता अजमेर, जयपुर तथा कोटा के अपने घरों से ही वर्क फ्रॉम होम से ही प्रोजेक्टों कर निरीक्षण उसे पूरा करवा रहे हैं। स्मार्ट सिटी के मुख्य अभियंता 22 अप्रेल से ही वर्क फ्रॉम होम के तहत में कोटा हैं लेकिन उनकी हाजिरी अजमेर में भरी जा रही है। यहां तक कि ऑर्डर भी जारी किए जा रहे हैं।
ठेकेदारी भी कर रहे इंजीनियर!
शवदाहगृह के टेंडर में अभियंता ही ठेकेदार बने हुए हैं। मूल ठेकेदार खुद के काम का ठेका दूसरे ठेकेदार को नहीं दे सकता अथवा सबलेट नहीं कर सकता। अभियंता इसका फायदा उठा रहे हैं। ठेके में शर्त कुछ और है और खुद काम सबलेट करवा दिया गया। जबकि पूरे काम का ठेका गुजरात की कंपनी को दिया गया। लेकिन कंपनी पर दबाव बनाकर खुद के चहेते ठेकेदार को सिविल कार्य का ठेका सबलेट करा दिया।
शवदाहगृह के टेंडर में अभियंता ही ठेकेदार बने हुए हैं। मूल ठेकेदार खुद के काम का ठेका दूसरे ठेकेदार को नहीं दे सकता अथवा सबलेट नहीं कर सकता। अभियंता इसका फायदा उठा रहे हैं। ठेके में शर्त कुछ और है और खुद काम सबलेट करवा दिया गया। जबकि पूरे काम का ठेका गुजरात की कंपनी को दिया गया। लेकिन कंपनी पर दबाव बनाकर खुद के चहेते ठेकेदार को सिविल कार्य का ठेका सबलेट करा दिया।
प्रोजेक्टों में भी लीपापोती
अभियंताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट लीपापोती से पूरे हो रहे हैं। निर्माण कार्यों में घटिया, सीमेंट व क्रेशर डस्ट काम में ली जा रही है। बिना अभियंताओं के निरीक्षण के ठेकेदार मनमर्जी से निर्माण कर रहे हैं। न मैटेरियल क्वालिटी टेस्ट करने के लिए लैब है न अभियंता व ठेकेकदार मेटेरियल ही टेस्ट करवाना चाहते हैं।
अभियंताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट लीपापोती से पूरे हो रहे हैं। निर्माण कार्यों में घटिया, सीमेंट व क्रेशर डस्ट काम में ली जा रही है। बिना अभियंताओं के निरीक्षण के ठेकेदार मनमर्जी से निर्माण कर रहे हैं। न मैटेरियल क्वालिटी टेस्ट करने के लिए लैब है न अभियंता व ठेकेकदार मेटेरियल ही टेस्ट करवाना चाहते हैं।
इनका कहना है ठेकेदारों की सहूलियत देखनी पड़ती है। कुछ काम ऐसे होतें हैं जिसे स्थानीय स्तर पर मैनेज करना पड़ता है। हम कम्पनी पर प्रेशर डाल रहे हैं। काम जल्द शुरू होगा।
अनिल विजयवर्गीय मुख्य अभियंता,स्मार्ट सिटी, अजमेर read more: कैसे होगा विद्युत शवदाहगृह का निर्माण,अब तक न सिविल वर्क पूरा न मैकेनिकल