फरीहा-कायम ने दिया बुके
शेख हसीना कार (car)से बाहर निकलकर निजाम गेट के सामने लगाई कुर्सी पर बैठीं। परम्परानुसार उन्हें दरगाह कमेटी के कर्मचारी ने विशेष पैताम पहनाकर हाथ धुलवाए। यहां खादिम सैयद कलीमुद्दीन चिश्ती की नवासी फरीहा और पौत्र कायम ने उन्हें बुके भेंट किया। बच्चों ने अंग्रेजी और उर्दू भाषा में उनका स्वागत (welcome in ajmer) किया। शेख हसीना ने मुस्कुराते हुए दोनों के सिर पर हाथ फेरा।
क्रीम कलर की साड़ी पहने शेख हसीना करीब 80 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ दोपहर 1.10 बजे दरगाह पहुंची। आहता-ए-नूर से प्रवेश कर उन्होंने गरीब नवाज की मजार शरीफ पर मखमली चादर और गुलाब के फूल पेश किए। उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने भी जियारत की। दरगाह में पहुंचते ही नक्कारखाने में शादियाने और ढोल-ताशे बजाकर उनका परम्परानुसार स्वागत किया गया। दरगाह कमेटी (dargah committee)की तरफ से उन्हें राजस्थान चुनरी ओढ़ाने के अलावा तलवार भेंट की गई।
शेख मुजीब भी आ चुके हैं दरगाह
खादिम सैयद कलीमुद्दीन चिश्ती ने बताया कि शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान 1966 में गरीब नवाज की दरगाह जियारत (dargah ajmer) के लिए आए थे। तब मेरे पिता सैयद वलीउद्दीन चिश्ती ने उन्हें जियारत कराई थी। इसके बाद शेख हसीना को 1996, 2010 और 2017 में बतौर पीएम मैंने जियारत कराई है। गुरुवार को वे चौथी बार उन्हें जियारत कराएंगे।