अजमेर

Shameful: ऐसा वॉशरूम जहां बेटियों को लगानी पड़ती है लाइन

जिम्मेदार अफसर पत्रावलियों को इधर-उधर भेज रहे हैं। टॉयलेट की मरम्मत और बेटियों की परेशानियों से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।

अजमेरMar 24, 2021 / 07:21 am

raktim tiwari

Row at ladies toilet

अजमेर.
जहां पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत महिलाओं-बेटियों के लिए टॉयलेट बनाने की मुहिम छेड़ी है। वहीं महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय को इससे कतई इत्तेफाक नहीं है। परिसर स्थित विक्रमादित्य भवन इसकी बानगी है। यहां बेटियों के लिए महज एक वॉशरूम है। उन्हें वॉशरूम जाने के लिए कतार लगानी पड़ती है। जिम्मेदार अफसर पत्रावलियों को इधर-उधर भेज रहे हैं। टॉयलेट की मरम्मत और बेटियों की परेशानियों से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।
विक्रमादित्य भवन में मैनेजमेंट विभाग संचालित है। यहां निचले तल पर तीन और प्रथम तल पर भी इतने ही टॉयलेट हैं। निचले तल पर बने एक फीमेल और कॉमन टॉयलेट की छत का मलबा गिरे कई महीने बीत चुके हैं। दोनों इस्तेमाल करने लायक नहीं है। लगानी पड़ती है कतारमैनेजमेंट विभाग में निचले तल पर एक फीमेल टॉयलेट है। मैनेजमेंट पाठ्यक्रम में करीब 30 से ज्यादा छात्राएं अध्ययनरत हैं। वॉशरूम जाने के लिए उन्हें कतार लगानी पड़ती है। छात्राओं के लिए यह किसी पीड़ा से कम नहीं है। इसके अलावा विभाग में महिला शिक्षक भी कार्यरत हैं।
जिम्मेदार खेल रहे फाइलों में
टॉयलेट की खराब स्थिति और मरम्मत कराने को लेकर मैनेजमेंट और कॉमर्स विभागाध्यक्ष प्रो. शिव प्रसाद करीब एक साल से प्रशासन को पत्रावलियां भेज चुके हैं। लेकिन मरम्मत नहीं हुई है। निलंबित कुलपति रामपालसिंह से लेकर कुलसचिव तक मामला पहुंचा लेकिन टॉयलेट के हालात नहीं सुधरे।
इम्प्रेस्ट मनी से कराओ ठीक…
नियमानुसार शैक्षिक विभागों में जरूरी कामकाज के लिए 10 हजार रुपए इम्प्रेस्ट मनी रखी जाती है। लेकिन प्रो. प्रसाद ने बताया कि कुलसचिव कार्यालय ने उन्हें 25 हजार रुपए इम्प्रेस्ट मनी से टॉयलेट की मरम्मत कराने को कहा है, लेकिन विभाग के पास राशि नहीं है। इसके अलावा विश्वविद्यालय के अभियंता विभाग में मौजूद वक्त कोई अभियंता भी नहीं है।
क्वार्टर की तत्काल मरम्मत..
करीब तीन महीने पहले मैनेजमेंट विभाग के प्रो. मनोज कुमार के क्वार्टर में छत का मलबा गिर गया था। प्रो. कुमार ने कुलपति को अवगत कराया तो प्रशासन ने तत्काल छत की मरम्मत करा दी। लेकिन बेटियों के मामले में प्रशासन दोहरा रवैया अपना रहा है। नियम-शर्तों का हवाला देकर मामला टाला जा रहा है। हालांकि कुलपति थानवी भी टॉयलेट की बदहाली से वाकिफ हैं।
केवल भवन बनाता आरएसआरडीसी!
विश्वविद्यालय परिसर में राजस्थान स्टेट रोड डवेलपमेंट कॉरपॉरेशन का कार्यालय है। वह नए भवनों का निर्माण कराता है। लेकिन पुुराने भवनों की मरम्मत को लेकर विवि और कॉरपॉरेशन मौन हैं। परिसर स्थित नचिकेता बॉयज हॉस्टल का पिछला हिस्सा दो साल से जर्जर है। लेकिन प्रशासन ने मरम्मत के बजाय हॉस्टल बंद कर दिया है।

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