अजमेर

साधु-संतों ने जीवित रखी है संस्कृति और परम्परा : राज्यपाल

आचार्य सुनील सागर के अवतरण दिवस समारोह में शामिल हुए राज्यपाल बागडे़, बोले : आक्रमणकारियों ने हमारे मंदिरों को तोड़ा, विचारधारा थोपने का किया प्रयास

अजमेरOct 08, 2024 / 02:50 am

dinesh sharma

किशनगढ़ में आचार्य सुनील सागर से चर्चा करते राज्यपाल बागडे़।

राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे़ ने कहा कि भारत में ढाई तीन हजार वर्ष पूर्व केवल जैन, बौद्ध सनातन हिन्दू धर्म था, लेकिन आक्रमणकारियों ने यहां आकर हमारे मंदिर तोड़े और हमारी भावनाओं, परंपरा व संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने और देवधर्म को नष्ट करते हुए अपनी विचारधारा थोपने का प्रयास किया। हालांकि हमारे कई साधु संतों ने उस समय ऐसा काम किया कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को जीवित रही। राज्यपाल बागडे ने यह बात वर्षा योग समिति के तत्वावधान में आचार्य सुनील सागर के 47 वें अवतरण दिवस पर सोमवार को किशनगढ़ में सन्मति समवशरण स्थल पर आयोजित समारोह में कही।

प्रेरणा लेने का अनुरोध

उन्होंने कहा कि जन्म तो सभी का होता है, लेकिन ऐसे विरले ही होते हैं जो अपने कर्मों से समाज को धन्य करते हैं। आचार्य सुनिल सागर इसके अनुपम उदाहरण है। मैं उनके आदर्शोँ को अपनाने और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का अनुरोध करता हूं। धन्य है वह माता-पिता जिन्होंने ऐसे संत को जन्म दिया और इस धरा को धन्य किया। गुरु आचार्यश्री सन्मति सागर ने आपको 11 वर्ष की अल्पआयु मेें दीक्षा शिक्षा देकर जीवन के सर्वोत्कृष्ट पद पर बिठा दिया। आपने जिस मनोयोग और तपोयोग से इस पद को शोभित किया वो वंदनीय है। इससे पूर्व राज्यपाल बागडे ने चित्र अनावरण के बाद आचार्यश्री के पाद पक्षालन, पिच्छिका भेंट की और आशीर्वाद लिया।

ग्रंथ का किया विमोचन

समारोह में राज्यपाल बागडे ने आचार्यश्री की ओर से लिखित जैनाचार्य विज्ञान एवं संघ की आर्यिका की ओर से लिखित महासाहू दिगम्बरा ग्रंथ का विमोचन भी किया। आर. के. मार्बल ग्रुप के चेयरमैन अशोक पाटनी, पुलक मंच परिवार के राष्ट्रीय महामंत्री चंद्रप्रकाश बैद, मुनि सुव्रतनाथ दिगम्बर जैन पंचायत के अध्यक्ष विनोद पाटनी व आदिनाथ दिगम्बर जैन पंचायत के अध्यक्ष प्रकाशचंद गंगवाल ने राज्यपाल बागडे का अभिनंदन किया। मंच संचालन बसंत बैद ने किया। स्वागत गीत सुभाष जैन ने किया। राज्यपाल बागड़े अपराह 3 बजे समारोह स्थल पहुंचे और शाम करीब 4.15 बजे तक रुके। इसके बाद वे कुछ समय के लिए अतिथि आवास में रुके फिर सड़क मार्ग से पुन: जयपुर रवाना हो गए।

संत हमारे देश की धरोहर

राज्यपाल ने कहा कि भगवान महावीर के जीयो और जीने दो के संदेश को संत आदेश रूप में जी रहे हैं। जीओ और जीने दो का अर्थ है अहिंसा, सत्य, सदाचार, शाकाहार का उपदेश जन-जन के लिए प्रेरणा है। भारतीय संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिना की सोच से जुड़ी है। धागे मात्र का भी परिग्रह नहीं रखने वाले एवं 24 घंटे में सिर्फ एक बार भोजन पानी लेने वाले यह साधु जीवन शैली से संदेश देते हैं कि संतोषी सदा सुखी रहता है। विश्व में ज्ञान देने वाले लाखों की संख्या में मिल जाएंगे, लेकिन आचरण से सीधा संदेश देने वाले संत विरले हैं। ये संत हमारे देश की धरोहर हैं।

आचार्यश्री ने दिए प्रवचन

आचार्य सुनील सागर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी 20 की बैठक में वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया जो प्राचीन शिलालेखों में भी अंकित है। उन्होंने कहा कि प्राकृत भाषा देश की प्राचीन भाषा है, जिसे राष्ट्रीय शास्त्रीय भाषा की मान्यता भी मिली है। जीवन में जो भी कार्य करें वह अभी करें भविष्य के लिए ना छोड़ें। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने निवास पर क्षमावणी पर्व मनाया और देश के प्रधानमंत्री भी मिच्छामी दुक्कड़म करते हैं। इससे यह पता चलता है कि यह क्षमावणी किसी एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए है। सबसे क्षमा मांगना और क्षमा करना चाहिए।

हम भी मोक्ष की ओर बढ़े

आर. के. मार्बल ग्रुप के चेयरमैन अशोक पाटनी ने आचार्यश्री को अवतरण दिवस पर मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हुए कहा कि आचार्यश्री हमें भी ऐसा आशीर्वाद दो ताकि हम भी मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ें। पाटनी ने कहा कि संघ में 19 साल से 90 साल तक के साधुओं को शिक्षा व ज्ञान प्रदान कर उन्हें साधना करवा रहे हैं। उन्होंने सभी का आभार जताया।

बड़ा पर्यटन स्थल

राज्यपाल बागडे ने बताया कि मांगी तुंगी तीर्थ क्षेत्र में 108 फीट ऊंची मूर्ति है जो कि दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति बनी है। यह मूर्ति एक पत्थर पर बनाई गई है। यह तीर्थ क्षेत्र विश्व का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल बनने वाला है और इसे दुनिया देखने आएगी।

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