आरएएस साक्षात्कार में अच्छे नम्बर दिलवाने की एवज में रिश्वत मांगने के मामले की जांच जारी है। कनिष्ठ लेखाकार सज्जनसिंह गुर्जर, सिकंदरा के टोलकर्मी नरेंद्र पोसवाल, सदस्य राजकुमारी गुर्जर के पति भैरोसिंह पर एसीबी की खास नजरें हैं।
मिली थी गुर्जर-सज्जन की शिकायत
तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में 7 दिसंबर 2016 को राजकुमारी गुर्जर को आयोग में सदस्य नियुक्त किया गया था। सदस्य गुर्जर और कनिष्ठ लेखाकार सज्जनसिंह के खिलाफ आयोग के पूर्व अध्यक्ष दीपक उप्रेती के कार्यकाल में एक गोपनीय पत्र पहुंचा था। इसमें भर्ती परीक्षाओं और साक्षात्कार में अनियमितताओं की आशंका जताकर जांच की मांग की गई थी।
तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में 7 दिसंबर 2016 को राजकुमारी गुर्जर को आयोग में सदस्य नियुक्त किया गया था। सदस्य गुर्जर और कनिष्ठ लेखाकार सज्जनसिंह के खिलाफ आयोग के पूर्व अध्यक्ष दीपक उप्रेती के कार्यकाल में एक गोपनीय पत्र पहुंचा था। इसमें भर्ती परीक्षाओं और साक्षात्कार में अनियमितताओं की आशंका जताकर जांच की मांग की गई थी।
नहीं किया था साक्षात्कार बोर्ड में शामिल
आयोग में 2019 और 2020 के बीच सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर, कृषि अनुसंधान अधिकारी सहित अन्य भर्तियों के साक्षात्कार हुए थे। गोपनीय शिकायती पत्र को आयोग ने गंभीरता से लिया। सदस्य राजकुमारी गुर्जर को कई साक्षात्कार बोर्ड से दूर रखा गया था। ताकि शिकायत की जांच हो सके। आयोग ने सदस्य डॉ. शिवसिंह राठौड़ और रामूराम राइका के ही साक्षात्कार बोर्ड ज्यादा रखे थे। बाद में राजकुमारी गुर्जर को वापस बोर्ड में शामिल किया गया था।
आयोग में 2019 और 2020 के बीच सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर, कृषि अनुसंधान अधिकारी सहित अन्य भर्तियों के साक्षात्कार हुए थे। गोपनीय शिकायती पत्र को आयोग ने गंभीरता से लिया। सदस्य राजकुमारी गुर्जर को कई साक्षात्कार बोर्ड से दूर रखा गया था। ताकि शिकायत की जांच हो सके। आयोग ने सदस्य डॉ. शिवसिंह राठौड़ और रामूराम राइका के ही साक्षात्कार बोर्ड ज्यादा रखे थे। बाद में राजकुमारी गुर्जर को वापस बोर्ड में शामिल किया गया था।
अध्यक्ष तय करते हैं बोर्ड
नियमानुसार साक्षात्कार से पहले बोर्ड बनाए जाते हैं। यह विशेषाधिकार सिर्फ अध्यक्ष का होता है। वह बोर्ड बनाने के लिए गोपनीय कोड लिखकर सीलबंद लिफाफा भेजते हैं। साक्षात्कार से महज दस मिनट पहले ही सदस्यों-विशेषज्ञों को बोर्ड में शामिल होने की सूचनी मिलती है। सदस्यों को साक्षात्कार बोर्ड में रखना अथवा दूर रखने का विशेषाधिकार भी आयोग अध्यक्ष का होता है।
नियमानुसार साक्षात्कार से पहले बोर्ड बनाए जाते हैं। यह विशेषाधिकार सिर्फ अध्यक्ष का होता है। वह बोर्ड बनाने के लिए गोपनीय कोड लिखकर सीलबंद लिफाफा भेजते हैं। साक्षात्कार से महज दस मिनट पहले ही सदस्यों-विशेषज्ञों को बोर्ड में शामिल होने की सूचनी मिलती है। सदस्यों को साक्षात्कार बोर्ड में रखना अथवा दूर रखने का विशेषाधिकार भी आयोग अध्यक्ष का होता है।
अब भी हो सकता है ऐसा….
जिस तरह आरएएस 2018 रिश्वतकांड उजागर हुआ है उसको देखते हुए आयोग का संभवत: गुर्जर को आगामी साक्षात्कार बोर्ड में शामिल करना मुश्किल है। उन्हें बोर्ड में शामिल करने पर आयोग की परेशानियां बढ़ेंगी।
जिस तरह आरएएस 2018 रिश्वतकांड उजागर हुआ है उसको देखते हुए आयोग का संभवत: गुर्जर को आगामी साक्षात्कार बोर्ड में शामिल करना मुश्किल है। उन्हें बोर्ड में शामिल करने पर आयोग की परेशानियां बढ़ेंगी।