राजस्थान सहित सभी प्रांतों में नदियां (rivers) सदियों से जनजीवन, कृषि, पेयजल का मुख्य स्त्रोत रही हैं। इनमें गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, सतलज, झेलम, ब्यास, चेनाब, क्षिप्रा, चम्बल, साबरमती, और अन्य नदियां शामिल हैं। वक्त के साथ विभिन्न प्रांतों में अधिकांश नदियां अतिक्रमण (illegal capture) की चपेट में आ गई। औद्योगिक अपशिष्टों (garbage) के चलते यह प्रदूषित हो गई। बेतरतीब अतिक्रमण और अवैध कब्जों से कई नदियों का अस्तित्व ही खतरे में है।
ये है रिवर फ्रंट योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते साबरमती रिवर फ्रंट मॉडल तैयार किया था। साबरमती नदी भी देश की मौजूदा नदियों की तरह प्रदूषित और गंदे नाले में तब्दील हो गई थी। मोदी सरकार ने सबसे पहले नदी (sabarmati river) में गंदे पानी के नाले रोके। इसके बाद कई जगह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (sever treatment plant) बनाए। साथ नदी के दोनों छोर पर पार्क, झूले, वॉक-वे (walk way) विकसित किया। मौजूदा वक्त यह साबरमती नदी रिवर फ्रंट गुजरात का प्रमुख स्थल बन चुका है। इसी तर्ज पर जयपुर में द्रव्यवती नदी पर रिवर फ्रंट बनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते साबरमती रिवर फ्रंट मॉडल तैयार किया था। साबरमती नदी भी देश की मौजूदा नदियों की तरह प्रदूषित और गंदे नाले में तब्दील हो गई थी। मोदी सरकार ने सबसे पहले नदी (sabarmati river) में गंदे पानी के नाले रोके। इसके बाद कई जगह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (sever treatment plant) बनाए। साथ नदी के दोनों छोर पर पार्क, झूले, वॉक-वे (walk way) विकसित किया। मौजूदा वक्त यह साबरमती नदी रिवर फ्रंट गुजरात का प्रमुख स्थल बन चुका है। इसी तर्ज पर जयपुर में द्रव्यवती नदी पर रिवर फ्रंट बनाया जा रहा है।
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शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) जोधपुर के निदेशक एम. आर. बालोच ने बताया कि साबरमती और द्रव्यवती रिवर फ्रंट (river front) योजना सभी प्रदेशों के लिए बनाई जानी है। इसमें प्रमुख और सहायक नदियों (suboridinate rivers)को भी जोड़ा जा सकता है। वन पर्यावरण, सार्वजनिक निर्माण और वन मंत्रालय यह योजना बनाने में जुटे हैं। इसमें नमामि गंगे प्रोजेक्ट (namami gange project) के बिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा।
शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) जोधपुर के निदेशक एम. आर. बालोच ने बताया कि साबरमती और द्रव्यवती रिवर फ्रंट (river front) योजना सभी प्रदेशों के लिए बनाई जानी है। इसमें प्रमुख और सहायक नदियों (suboridinate rivers)को भी जोड़ा जा सकता है। वन पर्यावरण, सार्वजनिक निर्माण और वन मंत्रालय यह योजना बनाने में जुटे हैं। इसमें नमामि गंगे प्रोजेक्ट (namami gange project) के बिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा।
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-कृषि एवं वानिकी विकास योजना के तहत चिन्हित होंगी नदियां
-प्रमुख अथवा सहायक नदियों के आसपास लगाए जाएंगे पेड़-पौधे
-उपजाऊ मिट्टी और जल संरक्षण पर ध्यान-नदियों के आसपास बनाए जाएंगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
-रोका जाएगा नदियों में प्रदूषित नालों का पानी
-कृषि एवं वानिकी विकास योजना के तहत चिन्हित होंगी नदियां
-प्रमुख अथवा सहायक नदियों के आसपास लगाए जाएंगे पेड़-पौधे
-उपजाऊ मिट्टी और जल संरक्षण पर ध्यान-नदियों के आसपास बनाए जाएंगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
-रोका जाएगा नदियों में प्रदूषित नालों का पानी
केंद्र सरकार देगी बजट
नमामि गंगे प्रोजेक्ट की तर्ज पर भारतीय वानिकी अनुसंधान, वन, कृषि और विभाग प्रोजेक्ट तैयार करने में जुटे हैं। यह प्रोजेक्ट अगले वर्ष जून-जुलाई तक तैयार होगा। इसे केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भेजा जाएगा। केंद्र सरकार राजस्थान (rajasthan) सहित अन्य राज्य सरकारों को नदियों को पुनजीर्वित करने, रिवर फ्रंट बनाने के लिए कुछ बजट भी देगी।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट की तर्ज पर भारतीय वानिकी अनुसंधान, वन, कृषि और विभाग प्रोजेक्ट तैयार करने में जुटे हैं। यह प्रोजेक्ट अगले वर्ष जून-जुलाई तक तैयार होगा। इसे केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भेजा जाएगा। केंद्र सरकार राजस्थान (rajasthan) सहित अन्य राज्य सरकारों को नदियों को पुनजीर्वित करने, रिवर फ्रंट बनाने के लिए कुछ बजट भी देगी।
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अजमेर में पुष्कर-नाग पहाड़ से निकलने वाली बांडी नदी (bandi reiver ajmer)भी खास है। इस नदी का पानी आनासागर झील में पहुंचता है। यहां से पीसांगन-गोविंदगढ़ होते हुए नागौर-मारवाड़ जिले तक जाती है। इस नदी पर भी प्रमुख-सहायक नदियों की योजनान्तर्गत रिवर फ्रंट बनाया जा सकता है।
अजमेर में पुष्कर-नाग पहाड़ से निकलने वाली बांडी नदी (bandi reiver ajmer)भी खास है। इस नदी का पानी आनासागर झील में पहुंचता है। यहां से पीसांगन-गोविंदगढ़ होते हुए नागौर-मारवाड़ जिले तक जाती है। इस नदी पर भी प्रमुख-सहायक नदियों की योजनान्तर्गत रिवर फ्रंट बनाया जा सकता है।