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अजमेर

17 साल से तारीखों के बीच सांसे तलाश रहे हैं रामगढ़ बांध सहित राज्य के जलाशय

निजाम बदले … निजामत भी लेकिन नहीं हुआ बदलाव
सरकार बनाम अब्दुल रहमान प्रकरणों में प्रभावी कार्रवाई नहीं

अजमेरAug 09, 2021 / 08:39 pm

bhupendra singh

Chaurasiawas pond

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भूपेन्द्र सिंह
अजमेर. रामगढ़ बांध सहित विभिन्न जलाशय राजस्व मंडल तथा उच्च न्यायालय के बीच पिछले 17 सालों से सांसे तलाश रहे हैं। इस बीच कई बार सरकारें बदली, राजस्व मंडल के अध्यक्ष व जिलों के कलक्टर बदले लेकिन सूरतेहाल में नहीं हुआ बदलाव नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में जलाशयों से संबंधित रेफरेंस प्रकरणों को निस्तारण के लिए राजस्व मंडल को विशेष पीठ गठित कर सुनवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन कुल 15 हजार 355 में से अब तक 10 हजार 486 मामलों में ही फैसला किया गया है। मौजूदा समय में कोराना तथा सदस्यों की कमी के कारण मुकदमों की सुनवाई प्रभावित है।
396 मामलों में हारी सरकार

राजस्व मंडल को राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 16 के तहत जलाशयों व जल बहाव से सम्बन्धित कुल 15 हजार 355 रेफरेंस प्रकरण जिला कलक्टरों के जरिए भेजे गए। उच्च न्यायालय के आदेश की पालना में राजस्व मंडल ने एक विशेष पीठ गठित कर 10 हजार 486 रेफरेंस प्रकरण निर्णत किए हैं। इनमें से 10 हजार 90 प्रकरण सरकार के पक्ष में स्वीकृत हुए और 396 प्रकरण में सरकार हार गई।
896 में पालना बाकी

मंडल की ओर से स्वीकृत किए गए 10 हजार 486 रेफरेंस प्रकरणों में जिला कलक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार 9,188 प्रकरणों में पालना की जा चुकी है। इन प्रकरणों से सम्बन्धित भूमि रिकॉर्ड में दर्ज की जा चुकी है। शेष 896 प्रकरणों में पालना की कार्रवाई जिला स्तर पर जारी बताई जा रही है। लेकिन मौके की स्थिति किसी से छिपी नहीं है।
4869 रेफरेंस प्रकरण लम्बित

उक्त 15 हजार 355 रेफरेंस प्रकरणों में से राजस्व मंडल में 4,869 रेफरेंस प्रकरण फिलहाल लम्बित चल रहे हैं। इस मामले में राजस्व मंडल का तर्क है कि इनके निस्तारण के लिए सदस्यों के 20 स्वीकृत पदो में से केवल 8 ही पद भरे हुए हैं। इसलिए सुनवाई की गति धीमी है। स्थिति यह है कि पिछले 6 महीनें में 365 रेफरंस प्रकरणों का निस्तारण किया गया है।
396 प्रकरणों की हाईकोर्ट में हुई अपील

मंडल की ओर से सरकार के विरुद्ध अस्वीकृत किए गए 396 प्रकरणों में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जिला कलक्टर/ तहसीलदार के स्तर पर ही चुनौती की जानी है।
जयपुर की रिपोर्ट

अब्दुल रहमान प्रकरण

तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार अब्दुल रहमान मामले में 1456 रेफरेंस प्रकरणों का फैसला हुआ। इसमें से 1370 सरकार के पक्ष में स्वीकृति किए गए तथा 86 में सरकार के विरुद्ध फैसला हुआ। इनमें से 1266 प्रकरणों में पालना होना बताया गया है। जबकि 104 प्रकरणों में पालना शेष है। निर्णयों की पालना में 60.87 हेक्टेयर भूमि रिकॉर्ड में दर्ज की गई। मौके पर 163 अतिक्रमण हटाते हुए 60.87 हेक्टेयर रकबा अतिक्रमण से मुक्त करवाना बताया गया है।
रामगढ़ बांध

प्रकरणरामगढ़ बांध से जुड़े 339 रेफरेंस प्रकरणों में निर्णय हुआ। इनमें से 334 सरकार के पक्ष में स्वीकृत किए गए और 5 प्रकरण में सरकार हारी है। सभी 334 में पालना होना बताया गया है। रामगढ़ बांध के रेफरेंस प्रकरणों को सुनने के लिए एक विशेष पीठ गठित है। रामगढ़ बांध से सम्बन्धित रेफरेंस प्रकरणों में जिला कलक्टर जयपुर द्वारा 334 प्रकरणों में पालना किए जाने की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। 163.45 हेक्टेयर भूमि को रिकॉर्ड में दर्ज किया जाना बताया गया है और 200 प्रकरणों की 163.45 हेक्टर भूमि अतिक्रमण से मुक्त करवाया जाना बताया गया है।
हाईकोर्ट करता है समीक्षा

हाईकोर्ट जयपुर में विचाराधीन डीबी सिविल रिट पिटीशन (पीआईएल) संख्या 11153/2011 सुओमोटो बनाम राजस्थान सरकार व अन्य में पारित आदेश 5 नवम्बर 2011 में हाईकोर्ट समय-समय पर रामगढ़ बांध व राज्य के अन्य जल भराव क्षेत्रो में अतिक्रमण हटाने की समीक्षा विभिन्न विभागों की रिपोर्ट के आधार पर की जाती है।
राजस्व रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए कलक्टरों को निर्देश

राजस्व मंडल के नवनियुक्त अध्यक्ष राजेश्वर सिंह ने पदभार संभालते ही मामले में संज्ञान लिया है। अध्यक्ष के निर्देश पर शुक्रवार निबन्धक बी.एल.मीणा ने राज्य के सभी जिला कलक्टरों को निर्देश दिए कि अब्दुल रहमान सरकार में पारित निर्णय 2 अगस्त 2004 की अनुपालना में सम्बन्धित जिला कलक्टर इस प्रकार के समस्त प्रकरणों के में सम्पूर्ण अपेक्षित राजस्व रिकॉर्ड प्रस्तुत करें। निबन्धक के अनुसार इस निर्णय से प्रभावित भूमियों के सम्बन्ध में विभिन्न जिलों से रेफरेंस प्रकरण तैयार कर सम्बन्धित रिकार्ड के साथ राजस्व मंडल न्यायालय को प्रेषित किए जाते हैं। इन रेफरेंस प्रकरणों में विवादग्रस्त भूमि से सम्बन्धित वर्ष 1947 या तत्कालीन समय का पुराना राजस्व रिकॉर्ड, जमाबंदी, खसरा गिरदावरी, खसरा चौशाला व मिलान क्षेत्रफल प्रस्तुत नहीं करने के कारण इन रेफरेंस प्रकरणों में राज्य पक्ष के हितों पर गंभीर रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है।

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