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आरएएस प्री-2018..गड़बड़ी से बचने की चिंता, रिजल्ट से पहले RPSC ने उठाया ये कदम

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अजमेरSep 30, 2018 / 05:04 am

raktim tiwari

RAS pre exam 2018

अजमेर.
राजस्थान लोक सेवा आयोग आरएएस प्रारंभिक परीक्षा-2018 परिणाम तैयार करने में जुटा है। आयोग ने 15 गुणा अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करने के मामले में कार्मिक विभाग से तकनीकी राय मांगी है। वहां से प्रत्युत्तर मिलने के बाद ही परिणाम जारी होगा।
आयोग ने 5 अगस्त को आरएएस प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन किया था। परीक्षा के लिए प्रदेश में 4 लाख 97 हजार 048 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। 1454 केंद्रों पर आयोजित परीक्षा में 3 लाख 76 हजार 762 अभ्यर्थी शामिल हुए। इसके बाद उत्तरकुंजियां पर ऑनलाइन आपत्तियां मांगी और विशेषज्ञों से उनका निस्तारण किया गया। ओएमआर शीट की स्कैनिंग भी पूरी हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी

राजस्थान प्रशासनिक एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती-2016 के तहत प्रारंभिक परीक्षा स्तर पर 15 गुणा से अधिक सफल अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा से बाहर रखने के मामले में राजस्थान हाइकोर्ट ने एक फैसला दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। पुराने अनुभव को देखते हुए आयोग ने आरएस प्रारंभिक परीक्षा-2018 का नतीजा घोषित करने से पहले कार्मिक विभाग से राय लेने का फैसला किया है।
जल्दबाजी का नहीं पक्षधर

आयोग जल्दबाजी में परिणाम जारी करने का पक्षधर नहीं है। तमाम तकनीकी पहलुओं, बिन्दुओं, समस्याओं के निस्तारण के बाद ही परिणाम को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा। मालूम हो कि आरएएस मुख्य परीक्षा-2018 का आयोजन 23 और 24 दिसम्बर को होगा।
अपात्र को पहले ही मिल गई मेरिट में जगह

विशेष शिक्षक लेवल द्वितीय की भर्ती 2018 में जिला परिषदों की ओर से प्रशैक्षिक योग्यता में गड़बड़ी कर मेरिट तैयार करने से कई योग्यताधारी अभ्यर्थी मेरिट से बाहर हो गए। प्रदेश की कई जिला परिषदों ने प्रशैक्षिक योग्यता कम वाले अभ्यर्थियों को मेरिट में स्थान देने पर अभ्यर्थियों ने निदेशालय तक आवाज पहुंचाई। गनीमत रही कि समय रहते प्रारंभिक शिक्षा व पंचायती राज (प्राशि) राजस्थान बीकानेर के निदेशक ने जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को आदेश जारी कर नियुक्ति रुकवा दी। इससे योग्यताधारी अभ्यर्थियों की फिर से उम्मीद जगी है।
प्रदेश की टोंक, राजसमंद सहित अन्य जिला परिषदों की ओर से विशेष शिक्षक लेवल द्वितीय में एक वर्षीय डिप्लोमाधारियों को मेरिट में शामिल करते हुए तोहफा थमा दिया। अभ्यर्थियों की शिकायत एवं न्यायालय के आदेश की प्रतियां मिलने के बाद जिला परिषदों की ओर से निदेशक से तृतीय श्रेणी अध्यापक विशेष शिक्षा की भर्ती में एक वर्षीय विशेष शिक्षा में डिप्लोमाधारी (पीजीपीडी) के संबंध में मार्गदर्शन मांगा गया। न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि यदि किसी अभ्यर्थी की ओर से विशेष शिक्षा में एक वर्षीय डिप्लोमा प्राप्त किया गया है तो वह तृतीय श्रेणी अध्यापक विशेष शिक्षक के पद पर नियुक्ति का पात्र नहीं होगा। यह दिए थे तर्क, तब उड़ी नींद-विज्ञप्ति में स्पष्ट है कि संबंधित पद के लिए दो वर्षीय डिप्लोमा एवं बीए या स्पेशल बीएड होना आवश्यक है।
 

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