राजस्थान में कांग्रेस V/S भाजपा से पहले गहलोत V/S पायलट, अब दिल्ली से आई ये खबर
यह अलग बात है कि सचिन पायलट ने कहा है कि यह जनता के मुददे हैं और इन मुददों के लिए लड़ना चाहिए लेकिन किससे। अपनी ही सरकार से और फिर अगर अपनी ही सरकार से लड़ाई है तो फिर रार तो तय है। धौलपुर के मंच से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छेड़ी लड़ाई को पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भरी दुपहरी में सड़क पर उतार दिया है। ऐसे में सियासत में गर्मी तो होगी ही होगी। इसकी तपन से कुछ हो न हो कांग्रेस का झुलसना तय है।
5 दिन की यात्रा में 35 सीटों पर झटका
राजनीति विश्लेषको की माने तो राजस्थान में सचिन पायलट इस पांच दिन की यात्रा में प्रदेश की 35 विधान सभा सीटों को प्रभावित करेंगे। पांच दिन की यह यात्रा कांग्रेस के लिए कम से कम पांच साल के लिए तो परेशानी पैदा करेगी ही करेगी। यह भी एक चर्चा है कि अजमेर में सचिन पायलट खुद के लिए भी एक नई जमीन तलाश रहे हैं।
अजमेर में सीधा नुकसान
सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा अजमेर में सीधा नुकसान करती दिख रही है। सचिन पायलट के प्रभावा वाले नसीराबाद, मसूदा, पुष्कर, ब्यावर, केकड़ी और किशनगढ़ में कांग्रेस को झटका लग सकता है। गुर्जर बाहुल्य नसीराबाद और मसूदा में पायलट की नाराजगी का असर सबसे ज्यादा हो सकता है। ऐस में कांग्रेस को कर्नाटक चुनाव के बाद फूंक फूंक कर कदम रखना होगा।
12 जिलों में ये हैं 35 सीटें
भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, टोंक, दौसा, कोटा, भीलवाड़ा, बूंदी, अजमेर और झुंझुनूं में 35 विधानसभा सीटें हैं। यह गुर्जर बाहुल्य इलाका है और इसमें सचिन पायलट का अच्छा खासा दखल है। यहां 12 प्रत्याशी उतारे थे सात विधानसभा पहुंच गए थे।
पिछले 45 सालों से मेरा परिवार जनसेवा के लिए राजनीति में है, हमारी निष्ठा एवं ईमानदारी पर विरोधी भी उंगली नही उठा सकते है-सचिन पायलट