अजमेर. मासूम बालिका को पहले दरिंदों ने हवस का शिकार बनाया, फिर उसे ना केवल घर, समाज बल्कि स्कूल में भी बिसरा दिया गया, जहां उसे स्कूल में शिक्षिकाओं से सहानुभूति मिलनी चाहिए थी। वहीं उसे स्कूल का नाम, माहौल खराब होने का डर दिखा ‘परीक्षा का प्रवेश पत्र आएगा, तब तुझे बुला लेंगे, अब तुझे आने की जरूरत नहीं है’ कहकर लौटा दिया गया। स्कूल प्रबंधन इतने पर भी नहीं रुका, बल्कि अनुपस्थित दिखाकर ना केवल उसका नाम काट दिया, बल्कि परीक्षा देने से वंचित भी कर दिया।
चाचा ही बना हैवान
अजमेर जिले के ग्रामीण क्षेत्र की निवासी 12वीं कक्षा की छात्रा को अक्टूबर 2023 में उसके चाचा समेत तीन जनों ने हवस का शिकार बनाया। पीडिता व उसके परिजन की शिकायत पर पुलिस ने सामूहिक बलात्कार, पोक्सो एक्ट में प्रकरण दर्जकर लिया। इसके दो दिन बाद पीडि़ता स्कूल पहुंची तो प्रिंसिपल व शिक्षिका ने उसे स्कूल आने से मनाकर दिया। कारण पूछने पर स्कूल का माहौल, नाम खराब होने का तर्क दिया। बोर्ड परीक्षा का प्रवेश पत्र आने पर सूचना देने की बात कही गई।
अब नहीं दे सकेगी परीक्षा
पीडि़ता ने बाल कल्याण समिति को बताया कि उसके माता-पिता ने भी स्कूल प्रबंधन से मिन्नतें की, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। जबकि वह अक्टूबर 2023 तक की स्कूल फीस और 12वीं बोर्ड परीक्षा का फार्म और फीस भर चुकी थी।
काट दिया नाम…
पीडि़ता ने दिसम्बर में स्कूल में सम्पर्क किया तो नाम काट दिया जाना बताया। उसे स्कूल की तरफ से ना तो बोर्ड परीक्षा का प्रवेश पत्र दिया गया, ना नाम काटने की सूचना दी। कॅरियर बनाने के समय पीडि़ता को ना केवल रूह पर चोट लगी, बल्कि उसका जिंदगी का एक अहम साल खराब हो गया। पीडि़ता अब फिर स्कूल में दाखिला चाहती है, ताकि उसकी शिक्षा फिर से शुरू हो सके।
इनका कहना है…
पीडि़ता ने 1098 पर कॉल करके चाइल्ड लाइन से मदद मांगी। प्रकरण में प्रारंभिक पड़ताल में निजी विद्यालय का गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है। स्कूल प्रबंधन ने पीडि़ता को सहारा देने की बजाए अपराध को बढ़ाने का काम किया है। प्रकरण में जिला शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। बालिका को शिक्षा का अधिकार है। उसे उसका हक दिलवाया जाएगा।
– अंजली शर्मा, अध्यक्ष, जिला बाल कल्याण समिति