सुबह से रही गर्मी और उमस
अजमेर. गर्मी और उमस से सताने के बाद गुरुवार देर शाम बादल बरसे। तेज बारिश ने शहर को भिगोया। कई जगह सडक़ों-चौराहों पर पानी भर गया। बरसात से लोगों को कुछ राहत मिली।
अजमेर. गर्मी और उमस से सताने के बाद गुरुवार देर शाम बादल बरसे। तेज बारिश ने शहर को भिगोया। कई जगह सडक़ों-चौराहों पर पानी भर गया। बरसात से लोगों को कुछ राहत मिली।
सुबह से मौसम में बनी उमस और गर्माहट ने जमकर परेशान किया। लोग पसीने से तरबतर होते रहे। शाम को काली घटाओं ने आसमान को घेर लिया। करीब 7.40 बजे घटाओं ने खामोशी तोड़ी। करीब 15 से 20 मिनट तक वैशाली नगर, शास्त्री नगर, पंचशील, कोटड़ा, लोहागल, जयपुर रोड, फायसागर सहित आसपास के इलाकों में तेज बरसात हुई। कई जगह सडक़ों और गड्ढों में पानी भर गया। इसके बाद रुक-रुक कर टपका-टपकी का दौर चलता रहा।
सडक़ों पर बहा पानी
गंज सर्किल, सावित्री चौराहा, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, जयपुर रोड, वैशाली नगर, माकड़वाली रोड और अन्य इलाकों में सडक़ों पर पानी बहता रहा। घरों और पहाड़ी इलाकों से बहता पानी सडक़ों पर हिलारें मारता रहा। अधिकतम तापमान 37.0 और न्यूनतम तापमान 26.6 डिग्री रहा।
गंज सर्किल, सावित्री चौराहा, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, जयपुर रोड, वैशाली नगर, माकड़वाली रोड और अन्य इलाकों में सडक़ों पर पानी बहता रहा। घरों और पहाड़ी इलाकों से बहता पानी सडक़ों पर हिलारें मारता रहा। अधिकतम तापमान 37.0 और न्यूनतम तापमान 26.6 डिग्री रहा।
बरसात से मिली कुछ राहत बरसात से लोगों को गर्मी और उमस से कुछ राहत मिली। कई लोग बारिश में भीगते हुए घर पहुंचे। कई जगह लोग दुकानों और पेड़ों के नीचे खड़े रहकर बरसात बंद होने का इंतजार करते दिखे। उधर जिले के पुष्कर, किशनगढ़ और अन्य इलाकों में भी बारिश हुई।
बचे मानसून के 91 दिन
इस साल के मानसून के महज 88 दिन बचे हैं। प्रदेश और जिले में मानसून की अवधि 1 जून से 30 सितम्बर यानि 122 दिन तक मानी जाती है। इस लिहाज 34 दिन निकल चुके हैं। मालूम हो कि राज्य में मानसून की सक्रियता आषाढ़, सावन, भादौ और आश्विन माह तक रहती है।
इस साल के मानसून के महज 88 दिन बचे हैं। प्रदेश और जिले में मानसून की अवधि 1 जून से 30 सितम्बर यानि 122 दिन तक मानी जाती है। इस लिहाज 34 दिन निकल चुके हैं। मालूम हो कि राज्य में मानसून की सक्रियता आषाढ़, सावन, भादौ और आश्विन माह तक रहती है।
खाली पड़े हैं जलाशय जिले के अधिकांश जलाशय खाली पड़े हैं। इनमें राजियावास, मूंडोती, नाहर सागर पिपलाज,ताज सरोवर अरनिया, पारा प्रथम और द्वितीय, फूलसागर कायड़, बीर, बिसून्दनी, मदन सरोवर धानवा और अन्य शामिल हैं