पुष्कर. गायत्री शक्तिपीठ संस्थान में मंत्रोच्चार के साथ पूजन करके 28 जुलाई से पुष्कर तीर्थ की सातवंीं परिक्रमा शुरू की जाएगी। आयोजक घनश्याम पालीवाल ने बताया कि पांच दिन तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन के तहत दो प्रकार की परिक्रमा होगी। इसमें 24 कोस की पैदल परिक्रमा होगी तथा 84 कोस की वाहनों से पुष्कर एवं आसपास के धार्मिक स्थलों की परिक्रमा होगी। इस दौरान ठहराव के दौरान प्रत्येक गांव में 24 यज्ञ किए जाएंगे तथा कुल 2400 यज्ञ होंगे साथ ही पौधरोपण व स्कू लों में गोष्ठियां आयोजित होगी। नशा मुक्ति निवारण के लिए प्रवचन होंगे। गांवों की परिक्रमा की जाएगी।
आयोजन की शुरूआत 28 जुलाई को सुबह 10 बजे गायत्री शक्तिपीठ संस्थान से सभी तीर्थों के जल से भरा शक्ति कलश का पूजन करने के साथ होगी। प्रवचन, स्वाध्याय के साथ आयोजन की जानकारी दी जाएगी। इसी के साथ शक्ति कलश को ब्रह्म-रथ में विराजित करके सैकड़ों गायत्री परिव्राजकों के साथ गुरुद्वारा के पीछे से ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करते पैदल श्रद्धालु कपालेश्वर महादेव के सामने से नदा सरस्वती से नांद गांव पहुंचेंगे। यहां पर रात्रि विश्राम होगा।
यात्रा का दूसरा पड़ाव नागौर जिले के थांवला गांव में, तीसरा पड़ाव मझेवला गांव तथा चौथा रात्रि विश्राम बूढ़ा पुष्कर तीर्थ में होगा। पांचवें अंतिम पड़ाव में 1 अगस्त को पुष्कर सरोवर के ब्रह्म घाट पर सामूहिक पूजन किया जाएगा। इस यात्रा में सावित्री पहाड़ी के रत्नागिरी पर्वत की परिक्रमा भी होगी। अब तक कुल 108 गांवों में यह यात्रा हो चुकी है। खास बात तो यह है कि इस यात्रा में हवन तर्पण व संध्या पर विशेष फोकस रहेगा।
परिक्रमा का महत्व
तीर्थगुरु की 24 व 84 कोसीय परिक्रमा का विशेष महत्व है। पुष्कर के दिवंगत लाल महाराज नामक पुरोहित ने इस 24 कोसीय यात्रा की वर्षों पूर्व शुरूआत की थी। इसके बाद गायत्री परिवार ने इसका बीड़ा उठाया तथा यह सातवंीं परिक्रमा है।
परिक्रमा का महत्व
तीर्थगुरु की 24 व 84 कोसीय परिक्रमा का विशेष महत्व है। पुष्कर के दिवंगत लाल महाराज नामक पुरोहित ने इस 24 कोसीय यात्रा की वर्षों पूर्व शुरूआत की थी। इसके बाद गायत्री परिवार ने इसका बीड़ा उठाया तथा यह सातवंीं परिक्रमा है।