अजमेर

कोरोना का साइड इफेक्ट : फसल कटाई तो कर लेंगे, बारिश से कैसे बचेंगे

इन दिनों रबी फसल की कटाई जोरों पर है, बारिश की आशंका से किसान चिंतित, फसल कटाई कर खेत में ढेरियां बनाकर रखा तो बारिश से खराब हो रही उपज, किसान दोहरी मार का शिकार

अजमेरMar 25, 2020 / 11:29 pm

suresh bharti

कोरोना का साइड इफेक्ट : फसल कटाई तो कर लेंगे, बारिश से कैसे बचेंगे

अजमेर. जिले में इन दिनों रबी फसल की कटाई जोरों पर है। गेहूं व सरसों की सर्वाधिक पैदावार हुई है। मगर, कोरोना महामारी के चलते थ्रेसर उपलब्ध नहीं हो रहे। ऊपर से बारिश सता रही है। खेतों में फसल खड़ी है तो कहीं खलिहान में ढेर लगा है। इससे कृषि जिंसें भीग गई।
दूसरी ओर जिले में वाहनों के चक्के थम गए। सडक़ मार्गों पर पुलिस तैनात है। जिले की सीमाएं सील है। इसके चलते थ्रेसर चालक कहीं नहीं जा पा रहे। अजमेर जिले के ब्यावर, नसीराबाद, किशनगढ़, मसूदा, केकड़ी, सरवाड़, रूपनगढ़, पुष्कर, श्रीनगर, पीसांगन व भिनाय क्षेत्र में गेहूं व सरसों की बम्पर पैदावार हुई है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते फसल बेचान भी संभव नहीं है। जिले के अधिकतर काश्तकारों ने फसल कटाई तो कर ली है। इनके दाने निकलवाने में परेशानी हो रही है।
लॉक डाउन के चलते थ्रेसर का अकाल

मगरा क्षेत्र के ब्यावर, जवाजा, मसूदा सहित आस-पास के इलाकों में इन दिनों गेहूं, चना व जौ की फसल कटाई चल रही है। कई काश्तकारों ने मौसम के बार-बार करवट लेने के चलते कटाई कर फसल को खलियान में एकत्र कर दिया है। अब इस उपज को निकालने के लिए थ्रेसर की आवश्यकता है। लॉक डाउन के चलते वाहनों की आवाजाही पर रोक है। एेसे में काश्तकारों को थ्रेसर नहीं मिल रहे है।
पुलिस का भय भी वजह

क्षेत्र में थ्रेसर तो कई लोगों के पास है। इन दिनों लॉक डाउन के चलते ट्रेक्टर थ्रेसर को बाहर खेतों तक ले जाने से चालक डर रहे हैं। ट्रेक्टर के पकड़ लेने के भय से हर व्यक्ति सजग है। पुलिस की गश्त तेज होने से कोई ट्रैक्टर चालक अनाज निकालने को तैयार नहीं है।
थ्रेसर को खेतों में जाने की मिले अनुमति

राजियावास सरपंच ब्रजपालसिंह के अनुसार इन दिनों फसल कटाई व थ्रेसर से दाने निकालने का समय है। कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन की सख्ती से पालना हो रही है,लेकिन किसानों के नुकसान को गंभीरता से लेना चाहिए। राज्य सरकार थ्रेसर उपलब्ध कराने में सहयोग करे।
किसान दोहरी मार का शिकार

इस साल बारिश अच्छी हुई तो रबी फसल की बम्पर पैदावार है। इसके बावजूद कभी मौसम साथ नहीं दे रहा तो कभी संसाधन उपलब्ध नहीं हो रहे। कोरोना महामारी के ताजा संकट ने रही सही कसर पूरी कर दी। कृषि उपज खेत-खलिहान से सिमट गई तो उसके सुरक्षित भंडारण व उचित दाम की समस्या है। ऐसे में किसानों के लिए ‘गरीबी में आटा गीला’ की कहावत चरितार्थ हो रही है।
बारिश से गीली हुई फसल

बुधवार को मसूदा, रामसर, कादेड़ा क्षेत्र में बौछारें गिरी। देवमगरी में पांच मिनट तक चने के आकार के ओले गिरने से फसल खराब हो गई। मसूदाक्षेत्र में बुधवार को मौसम ने पलटा खाया। दोपहर बाद गांवों में हल्की बारिश हुई। रामसर में 1015 मिनट तेज वर्षा होने से जगह-जगह पानी भर गया।
बेमौसम की बारिश से फसल खराबा होने से किसानों में मायूसी छा गई। भिनाय में बूंदाबांदी का दौर चला। इससे गेहूं, जौ, चना, जीरा आदि की फसल खराब हो रही है। इसी प्रकार कादेड़ा सहित आसपास के कई गांवों में बुधवार शाम बरसात ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। नागोला कस्बे में बुधवार शाम 4 बजे बूंदा-बांदी हुई।

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