इसलिए पाकिस्तान में वर्ष 1947 में विभाजन के वक्त द सोसायटी पंचायत अंदरकोटियान के जो लोग पाकिस्तान (pakistan) चले गए, उन्होंने वहां भी यह परम्परा शुरू कर दी। उनके वशंज आज भी वहां इस परम्परा को निभाते हैं। अजमेर की तरह ही पाकिस्तान के हैदराबाद सिंध में भी मोहर्रम की नौ व दस तारीख को नंगी तलवारों से हाईदौस खेला जाता है। अंदरकोट के खालिद खान ने बताया कि हैदराबाद सिंध के खाता चौक में हाईदौस खेला जाता है।
गजट नोटिफिकेशन में शामिल तत्कालीन मेरवाड़ा स्टेट के 1860 के गजट नोटिफिकेशन में भी हाईदौस का ‘द सॉर्ड ऑफ प्ले’ के नाम से जिक्र किया गया है।