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एक साल की देरी के बाद तैयार हुआ पहाडग़ंज विद्युत शवदाह गृह

एक दिन में 12 शवों का होगा अंतिम संस्कार निर्माण पर 60 लाख रूपए रूपए हुए खर्च

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Electric Crematorium Chirimiri

Electric Crematorium

अजमेर. करीब एक साल की देरी के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पहाडग़ंज श्मशान में विद्युत शवदाह गृह का निर्माण पूरा हो गया है। इस पर 60 लाख खर्च किए गए हैं। इलेक्ट्रिक फर्नीश विद्युत शवदाह गृह में एक प्लेटफार्म तैयार किया गया है। अंतिम संस्कार में तापमान नियंत्रण के लिए रेग्यूलेट कंट्रोल का पैनल लगाया गया है। 650 डिग्री सेल्सियस पर एक घंटे के भीतर शव का अंतिम संस्कार हो सकेगा। शवदाहगृह के संचालन के लिए थ्री फेस बिजली कनेक्शन के लिया गया है। शवदाह गृह में 24 घंटे में 12 शवों का दाह संस्कार किया जा सकेगा। एक शव के अंतिम संस्कार में करीब 1.30 से 2 घंटे का समय लगेगा। शवदाह गृह में विद्युत भट्टी लगाने के साथ ही सफाई के लिए पानी की व्यवस्था के लिए बोरिंग भी की गई है। प्रत्येक संस्कार के बाद शव स्थल की पानी से धुलाई होगी।

चिमनी से धुआं ऊपर जाएगा

विद्युत शवदाह गृह में एक चिमनी बनाई गई है। जिससे शव के जलने पर धुआं आसपास नीचे की तरफ नहीं फैलेगा, बल्कि चिमनी के माध्यम से ऊपर चला जाएगा। इससे पर्यावरण प्रदूषण में कमी आएगी। श्मशान स्थल पर गार्डन विकसित करने के लिए पेड़ लगाए जाएंगे। इससे पूर्व ऋषिघाटी में गैस आधारित शवदाहगृह बनाया गया है। कोराना से संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार इसके जरिए किए गए। अंतिम संस्कार के समय में आएगी कमी

एक शव के अंतिम संस्कार के लिए करीब 4 क्विंटल में लकड़ी का उपयोग होता है। इस पर करीब तीन हजार रूपए खर्च होते हैं। जबकि विद्युत शवदाहगृह के जरिए शव के अंतिम संस्कार के खर्च में कमी आएगी। जानकारों के अनुसार विद्युत शवदाह गृह स्क्रबर टेक्नोलॉजी से लैस है, जो अंतिम संस्कार के दौरान निकलने वाली खतरनाक गैस और बॉडी के बर्न पार्टिकल को सोख लेता है।

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