अजमेर

यहां बनी थी राजस्थान की पहली म्यूनिसपिलिटी, फिर भी कुछ यूं बदहाल है यह शहर

यहीं स्थिति बनी रही तो स्वच्छता सर्वेक्षण में और निचले पायदान पर ब्यावर लुढक सकता है।

अजमेरAug 07, 2017 / 09:42 am

raktim tiwari

केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से किए स्वच्छता सर्वेक्षण में वर्ष 2014 की अपेक्षा इस वर्ष ब्यावर 28 0 वें स्थान से फिसलकर 285 वें स्थान पर पहुंच गया। यहीं स्थिति बनी रही तो स्वच्छता सर्वेक्षण में और निचले पायदान पर ब्यावर लुढक सकता है। परिषद प्रशासन के पास जहां सफाई कर्मचारियों की संख्या में इजाफा हुआ है, वहीं पिछले दो सालों में संसाधन में बढ़े है।
नगर परिषद की ओर से समय-समय पर अभियान भी चलाया गया। लेकिन स्थिति कुछ दिन बाद वही ढाक के तीन पात वाली रही। मोतीपुरा बाडिय़ा स्कूल के सामने कचरे का ढेर लगा है। ऐसी ही स्थिति गीता भवन मार्ग की है। इसके अलावा उदयपुर रोड बाइपास से मोतीपुरा की ओर जाने वाले पुराने राजमार्ग के दोनों ओर नगर परिषद ने कचरे के ढेर लगा दिए है। 
…फिर भी सड़क पर बह रहा पानीअजमेर रोड गायत्री नगर चौराहा से लेकर छावनी नदी तक नाले का निर्माण कार्य हो चुका है। जबकि इस नाले का उपयोग ही नहीं हो रहा है। गायत्री नगर चौराहा से छावनी की ओर आने वाली सड़क पर दिनभर पानी बहता रहता है।परिषद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
यह मिले संसाधन

सफाई व्यवस्था को सुचारू करने के लिए व्हील बेरोज (हाथट्रॉली) साल २०१६ में अक्टूबर माह में आई। इसके अलावा वर्ष २०१६ में ५० स्टैंड वाले कचरा पात्र एवं वर्ष २०१७ में इतने ही कचरा पात्र नगर परिषद में आए। इसके अलावा १५ टैम्पो आए। संग्रहण के लिए शहर को आठ जोन में बांटा गया है।
७० सफाई कर्मचारी व्यवस्थार्थ

नगर परिषद में ३४५ सफाई कर्मचारी कार्यरत है। इनमें से ७० कर्मचारी व्यवस्थार्थ अन्य स्थानों पर लगाए गए हैं। इनसे अन्य कार्य करवाए जा रहे हैं। इसके अलावा ९० कर्मचारी ठेके पर काम कर रहे हैं। शहर की सफाईव्यवस्था को सुचारू रखने के लिए १५ क्षेत्र में बांटा गया है।

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