एलएलबी कोर्स को सेमेस्टर पद्धति में बांटने को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं है। जहां बार कौंसिल ऑफ इंडिया की मंशानुरूप कई राज्य पांच वर्षीय सेमेस्टर स्कीम लागू कर चुके हैं। वहीं प्रदेश में तीन वर्षीय एलएलबी कोर्स ही संचालित है। एलएलएम को एक वर्षीय कोर्स बनाने की योजना भी कागजों में अटकी हुई है।
बार कैांसिल ऑफ इंडिया ने एलएलबी कोर्स को बेहतर बनाने, समयानुकूल नई अवधारणाओं को समावेश करने के लिहाज से सभी राज्यों को एलएलबी कोर्स में पांच वर्षीय सेमेस्टर पद्धति लागू करने के निर्देश दिए थे। सभी संस्थाओं और राज्यों को साल 2012 तक का समय दिया गया था। बाद में इसे पांच साल के लिए और बढ़ा दिया गया। लेकिन राज्य सरकार ने एलएलबी में पांच वर्षीय सेमेस्टर स्कीम लागू नहीं कर पाई है।
प्रदेश में तीन साल का ही कोर्स प्रदेश में अजमेर, सिरोही, नागौर, अलवर, सीकर सहित 15 लॉ कॉलेज हैं। सभी कॉलेज में तीन साल का ही एलएलबी कोर्स संचालित है। इनमें भी वार्षिक पेपर स्कीम लागू है। एलएलबी को पांच वर्षीय सेमेस्टर में बांटने और नया पाठ्यक्रम बनाने की पहल नहीं हुई है। उधर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब जैसे कई राज्यों के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में यह स्कीम लागू हो चुकी है।
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एलएलएम भी नहीं एक वर्षीयबार कौंसिल ऑफ इंडिया और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साल 2014-15 में एलएलएम को एक वर्षीय पाठ्यक्रम बनाने के निर्देश दिए थे। पूरे देश में केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों, कॉलेज में यह लागू होना था। केंद्रीय विश्वविद्यालयों, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और कुछ राज्यों में इसे अपना लिया गया। प्रदेश में किसी विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज में एक वर्षीय एलएलएम कोर्स प्रारंभ नहीं हुआ है।
सरकार को विरोध का डर…. पांच वर्षीय सेमेस्टर कोर्स लागू करने को लेकर सरकार दबाव में है। शिक्षकों, युवाओं द्वारा विरोध करने के चलते उच्च शिक्षा विभाग कदम नहीं बढ़ा रहा। ऐसा तब है जबकि मोदी सरकार पूरे देश में विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में समान पाठ्यक्रम लागू करने पर जोर दे रही है।
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