प्रदेश के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज (engineering college) प्राचार्य अब अधीनस्थ शिक्षकों को सीधे अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकेंगे। प्राचार्यों (principal) को तकनीकी शिक्षा विभाग (techincal education department) को संबंधित प्रकरण-मामले की जानकारी देनी जरूरी होगी। विभागीय मंजूरी के बाद ही अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी हो सकेगा।
सेल्फ फाइनेंसिंग योजनान्तर्गत (SFS) संचालित राज्य में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित हैं। यह स्वायत्तशासी संस्थानों के अधीन हैं। तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया (vaibhav galaria) ने बताया कि सरकारी इंजीनियरिंग में कई शिक्षक पीएचडी, उच्च अध्ययन और अन्यत्र पदस्थापन के लिए आवेदन करते हैं। इंजीनियरिंग कॉलेज प्राचार्य ऐसे शिक्षकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं। विभाग ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
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गालरिया के पत्र में बताया गया है कि इंजीनियरिंग कॉलेज प्राचाार्य अधीनस्थ शिक्षकों को सीधे अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी नहीं कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग के पास आवेदन-प्रकरण (application) विस्तृत जानकारी के साथ भेजना जरूरी होगा। साथ ही बताना होगा कि संबंधित शिक्षक के पदस्थान (deputation), उच्च अध्ययन (higher studies)और पीएचडी (PHD)पर जाने के बाद शैक्षिक कार्य किस तरह सुचारू रहेगा। शिक्षक के जाने के बाद अध्ययन-अध्यापन सुचारू रखने की जिम्मेदारी भी संस्था प्रधान की होगी।
गालरिया के पत्र में बताया गया है कि इंजीनियरिंग कॉलेज प्राचाार्य अधीनस्थ शिक्षकों को सीधे अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी नहीं कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग के पास आवेदन-प्रकरण (application) विस्तृत जानकारी के साथ भेजना जरूरी होगा। साथ ही बताना होगा कि संबंधित शिक्षक के पदस्थान (deputation), उच्च अध्ययन (higher studies)और पीएचडी (PHD)पर जाने के बाद शैक्षिक कार्य किस तरह सुचारू रहेगा। शिक्षक के जाने के बाद अध्ययन-अध्यापन सुचारू रखने की जिम्मेदारी भी संस्था प्रधान की होगी।
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प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्यों की नियुक्ति-आवेदन (appointment) के लिए नए नियम बनेंगे। मौजूदा नियमों में वांछित संशोधन किया जाएगा। तकनीकी शिक्षा इसकी तैयारी में जुट गया है।तकनीकी शिक्षा विभाग ने बीते साल फरवरी-मार्च में अजमेर के बॉयज (boys college) और महिला (woens college) सहित बांसवाड़ा, झालवाड़ और अन्य कॉलेज में प्राचार्य भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। डेढ़ साल बीतने के बावजूद स्थाई प्राचार्यों की नियुक्तियां नहीं हुई है। साथ ही इंजीनियरिंग कॉलेज कई समस्याओं (college problems)से जूझ रहे हैं। उम्र सीमा होगी 70 साल तकनीकी शिक्षा विभाग प्राचार्यों की नियुक्ति-आवेदन नियमों में कुछ संशोधन (rules change) करेगा। इसके तहत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के समान इंजीनियरिंग कॉलेज प्राचार्य पद के लिए आयु सीमा 70 साल की जाएगी।
प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्यों की नियुक्ति-आवेदन (appointment) के लिए नए नियम बनेंगे। मौजूदा नियमों में वांछित संशोधन किया जाएगा। तकनीकी शिक्षा इसकी तैयारी में जुट गया है।तकनीकी शिक्षा विभाग ने बीते साल फरवरी-मार्च में अजमेर के बॉयज (boys college) और महिला (woens college) सहित बांसवाड़ा, झालवाड़ और अन्य कॉलेज में प्राचार्य भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। डेढ़ साल बीतने के बावजूद स्थाई प्राचार्यों की नियुक्तियां नहीं हुई है। साथ ही इंजीनियरिंग कॉलेज कई समस्याओं (college problems)से जूझ रहे हैं। उम्र सीमा होगी 70 साल तकनीकी शिक्षा विभाग प्राचार्यों की नियुक्ति-आवेदन नियमों में कुछ संशोधन (rules change) करेगा। इसके तहत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के समान इंजीनियरिंग कॉलेज प्राचार्य पद के लिए आयु सीमा 70 साल की जाएगी।