अजमेर. देश में नए कानून सोमवार से लागू हो गए। वकीलों ने इसके सकारात्मक असर की उम्मीद जताई। वकीलों का कहना है कि न्याय व्यवस्था में पेशी पड़ना, सूचना संबंधित पक्षकार तक नहीं पहुंचने जैसी प्रक्रिया में ही कई साल गुजर जाते थे। लेकिन अब संचार साधनों की तकनीक को न्याय प्रक्रिया में मान्यता देने से मुकदमों के निस्तारण में सुगमता होगी। इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। राजस्थान पत्रिका ने अजमेर के वरिष्ठ व युवा वकीलों से नए कानून के बारे में रायशुमारी की।प्रक्रिया को समयबद्ध करना श्रेष्ठ प्रावधान है। सभी पक्षकारों को इसका पालन करना होगा। अब पक्षकारों को समय पर न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। संचार साधनों का न्याय पालिका में बेहतर उपयोग होगा।
उमरदान सिंह लखावत, वरिष्ठ अधिवक्ता पैन ड्राइव, ई मेल को साक्ष्य की परिधि में लेने से फरियादी को अपनी बात सिद्ध करने के अवसर बढ़ेंगे। पहले न्याय पालिका में इसे मान्यता नहीं थी। 1857 की क्रांति के तीन साल बाद आईपीसी अस्तित्व में आई। ब्रिटिश राज में कानून दंड देने के लिए था, लेकिन अब न्याय देने के लिए है। चेन स्नोचिंग, बच्चों से अपराध कराने जैसे कानूनों को स्पष्ट किया है। फरार आरोपी के लिए भी ट्रायल रोकी नहीं जाएगी।
जगदीश सिंह राणा, वरिष्ठ अधिवक्ता नई व्यवस्था में नोटिस तामीली नहीं होने जैसे आधार पर तारीखें नहीं पड़ेंगी। समय सीमा तय होने से न्याय जल्द मिलने की संभावना बढ़ी हैं। सम्मन नोटिस तामीली के लिए कर्मचारी के आने-जाने का समय बचेगा।
रविन्द्र सिंह चूंडावत एफ़आईआर, जांच और सुनवाई की सीमा तय होने से 45 दिनों के भीतर फ़ैसला देना होगा। शिकायत के तीन दिन के भीतर एफ़आईआर दर्ज करनी होगी। एफ़आईआर अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के माध्यम से दर्ज की जाएगी।ज़ीरो एफ़आईआर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज हो सकेगी।
जाेगेन्द्र सिंह राठौड़ किसी भी प्रकरण मे जांच,पड़ताल व अनुसंधान में अब फॉरेंसिक साक्ष्य व फोटोग्राफी को अनिवार्य कर दिया है। सत्यता का तुरंत पता चल जाएगा। ब्रजेन्द्र सिंह राठौड़