विज्ञान विषय में विद्यार्थियों की बढ़ती अभिरुचि और अध्ययन-अध्यापन (teaching) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में डिजिटल (digital) (विज्ञान)कंप्यूटर लेब (computer lab) तैयार करने की योजना बनाई है। कॉलेज के मैनेजमेंट-कॉमर्स ब्लॉक (commerce block) के द्वितीय तल पर डिजिटल लेब (digital lab)बनकर तैयार हो गई है।
लगाए कंप्यूटर-उपकरण
कॉलेज शिक्षा निदेशालय की योजनान्तर्गत डिजिटल (विज्ञान) कंप्यूटर लेब में विद्यार्थियों के लिए कई कंप्यूटर सेट और उपकरण लगाए गए हैं। विद्यार्थी फिजिक्स (physics), केमिस्ट्री (chemistry), जूलॉजी (zoology)-बॉटनी (botony) से संबंधित प्रयोग और शोध के बारे में कंप्यूटर पर अध्ययन कर सकेंगे। इसके लिए ई-कंटेंट (e-content)-वीडियो तैयार किए जा रहे हैं। विद्यार्थी इस कंप्यूटर लेब में विज्ञान से संबंधित प्रयोग और सामग्री से अध्ययन कर सकेंगे।
कॉलेज शिक्षा निदेशालय की योजनान्तर्गत डिजिटल (विज्ञान) कंप्यूटर लेब में विद्यार्थियों के लिए कई कंप्यूटर सेट और उपकरण लगाए गए हैं। विद्यार्थी फिजिक्स (physics), केमिस्ट्री (chemistry), जूलॉजी (zoology)-बॉटनी (botony) से संबंधित प्रयोग और शोध के बारे में कंप्यूटर पर अध्ययन कर सकेंगे। इसके लिए ई-कंटेंट (e-content)-वीडियो तैयार किए जा रहे हैं। विद्यार्थी इस कंप्यूटर लेब में विज्ञान से संबंधित प्रयोग और सामग्री से अध्ययन कर सकेंगे।
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मौजूदा पारंपरिक प्रयोगशालाओं में कई उपकरण नहीं होने से विद्यार्थी प्रायोगिक कार्य ढंग से नहीं कर पाते हैं। डिजिटल कंप्यूटर लेब बनने के बाद उन्हें प्रायोगिक कार्यों की विधि समझने, ई-कंटेंट की सहायता से प्रयोग (experiments) करने, फाइल (file) और डाटा (data) तैयार करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा शोध कार्य और नवाचार (innovation) को भी समझने का अवसर मिलेगा।
मौजूदा पारंपरिक प्रयोगशालाओं में कई उपकरण नहीं होने से विद्यार्थी प्रायोगिक कार्य ढंग से नहीं कर पाते हैं। डिजिटल कंप्यूटर लेब बनने के बाद उन्हें प्रायोगिक कार्यों की विधि समझने, ई-कंटेंट की सहायता से प्रयोग (experiments) करने, फाइल (file) और डाटा (data) तैयार करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा शोध कार्य और नवाचार (innovation) को भी समझने का अवसर मिलेगा।
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1836 में स्थापित एसपीसी-जीसीए में भूगोल विभाग (geography) ने हाइटेक लेब तैयार हो चुकी है। लेब में नि:शुल्क इन्टरनेट सुविधा मुहैया कराई गई है। विद्यार्थियों के लिए एक पुस्तकालय (library) भी तैयार किया गया है। यहां जीआईएस (GIS), कम्प्यूटर (Computer), इंटरनेट (intenet) जैसी सुविधाएं होंगी। अजमेर जिले और प्रदेश की नदियों, बांध, तालाब और जलाशयों, भौगोलिक स्थिति, अरावली पर्वत श्रंखला, वन सम्पदा पर विस्तृत शोध हो सकेगा। यहां राजस्थान के अलावा देश की भौगोलिक स्थिति का आकलन एवं शोध किया जा सकेगा।
1836 में स्थापित एसपीसी-जीसीए में भूगोल विभाग (geography) ने हाइटेक लेब तैयार हो चुकी है। लेब में नि:शुल्क इन्टरनेट सुविधा मुहैया कराई गई है। विद्यार्थियों के लिए एक पुस्तकालय (library) भी तैयार किया गया है। यहां जीआईएस (GIS), कम्प्यूटर (Computer), इंटरनेट (intenet) जैसी सुविधाएं होंगी। अजमेर जिले और प्रदेश की नदियों, बांध, तालाब और जलाशयों, भौगोलिक स्थिति, अरावली पर्वत श्रंखला, वन सम्पदा पर विस्तृत शोध हो सकेगा। यहां राजस्थान के अलावा देश की भौगोलिक स्थिति का आकलन एवं शोध किया जा सकेगा।
read more: RPSC: इधर जवाब तो उधर परीक्षा कार्यक्रम का इंतजार डिजिटल साइंस लेब तैयार कराई गई है। यहां कंप्यूटर और अन्य उपकरण लगाए जाएंगे। विद्यार्थियों को शैक्षिक नवाचार और प्रयोग सीखने को मिलेंगे।
डॉ.एम.एल.अग्रवाल, प्राचार्य सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय
डॉ.एम.एल.अग्रवाल, प्राचार्य सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय