गुरकीरत ने बताया कि वह कश्मीर से केसर के बीज लेकर आए। घर के एक कमरे में 2 टन का एसी लगाकर लैब-कोल्ड रूम बनाकर ताजी हवा के लिए सिर्फ एक विंडो रखी। कमरे में केसर के बीजों को ट्रे में करीब डेढ़ माह तक अंधेरे में रखा। इस दौरान कमरे का तापमान दिन में 10 से 12 डिग्री सेल्सियस रखा गया। मोबाइल की रोशनी में ही बीजों की प्रतिदिन जांच की जाती थी। कमरे को कृत्रिम रूप से कश्मीर जैसा वातावरण दिया।
सितम्बर में लगाए बीज, दिसम्बर में केसर तैयार
सितम्बर में बीज लगाने के बाद अक्टूबर में कलियां आना शुरू हो गई। कमरे में शुद्ध हवा जाने के लिए कुछ देर खिड़की को खोला जाता था। दिसम्बर में कलियों में फूल के साथ केसर निकलना शुरू हो गया है। जिसे इन दिनों सुखाया जा रहा है। यह भी पढ़ें
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कम खर्चे में केसर उत्पादन
इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियर गुरकीरत ने बताया कि उन्होंने घर में लगे इन्वर्टर एसी का इस्तेमाल किया। 1 से 1.50 लाख रुपए के स्मार्ट गैजेट की बजाय 2 से 3 हजार रुपए का ह्मयूमिडिफाइर तैयार किया। साधारण सफेद एलडीडी लाइट के अलावा नीले और लाल प्रकाश के लिए 500 से 1 हजार रुपए तक की लाइट का इस्तेमाल किया। 25 से 40 हजार रुपए में केसर का उत्पादन हो गया।मिट्टी की कराई जांच
केसर के लिए अजमेर में उपलब्ध मिट्टी की जांच मृदा कार्यालय में कराई। इसमें आवश्यक वर्मी कम्पोस्ट डाला। विभिन्न स्तर पर ऑनलाइन जांच भी की। यह भी पढ़ें
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यों करें शुद्धता की जांच
केसर का पिछला हिस्सा होता है बहुत पतला
पानी में 15 से 20 मिनट बाद दिखता है पीला रंग नकली केसर तत्काल पानी में छोड़ता है रंग असली केसर की देर तक रहती है महक