महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu) में वैदिक पार्क (vedik park) और दयानंद चेयर (dayanand research chair) का इंतजार है। विश्वविद्यालय ने स्मार्ट सिटी योजना की तरफ कदम बढ़ाए थे, पर एक साल से नतीजा सिफर है। इधर कुलपति के कामकाज पर रोक लगने से दोनों काम अटक गए हैं।
विश्वविद्यालय में ऋषि दयानंद चेयर सहित वैदिक पार्क बनाया जाना है। पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास (MHRD), जल संसाधन (Water resources) और गंगा पुनुरुद्धार मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने साल 2017 में इसकी घोषणा की थी। पर्यावरण विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर ने बीते साल यूजीसी में महर्षि दयानंद सरस्वती चेयर और वैदिक पार्क की योजना का ब्यौर दिया। यूजीसी ने स्थाई कुलपति और कुलसचिव सहित शिक्षकों (Faculty) की कमी बताते हुए यूजीसी (UGC) ने दयानंद चेयर स्वीकृत नहीं की। काफी प्रयासों के बाद अक्टूबर 2018 में यूजीसी ने दोनों योजनाओं को मंजूरी प्रदान की।
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यूजीसी और उच्च स्तर पर बजट नहीं मिलता देख विश्वविद्यालय ने स्मार्ट योजना (Smart city scheme) की तरफ कदम बढ़ाए। पिछले साल वैदिक पार्क के प्रस्ताव पर अजमेर विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी योजना के अधिकारियों से चर्चा की गई। पूर्व कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली और मौजूदा कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (prof rp singh)ने भी कुछ प्रयास किए पर नतीजा कुछ नहीं निकला।
यूजीसी और उच्च स्तर पर बजट नहीं मिलता देख विश्वविद्यालय ने स्मार्ट योजना (Smart city scheme) की तरफ कदम बढ़ाए। पिछले साल वैदिक पार्क के प्रस्ताव पर अजमेर विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी योजना के अधिकारियों से चर्चा की गई। पूर्व कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली और मौजूदा कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (prof rp singh)ने भी कुछ प्रयास किए पर नतीजा कुछ नहीं निकला।
चेयर के लिए यूजीसी यूं करेगा मदद
दयानंद चेयर के लिए यूजीसी वित्तीय मदद करेगा। इसमें किताबों-जर्नल्स (books and journals) के लिए 1.50 लाख रुपए (पांच साल के लिए) 30 हजार रुपए (अतिरिक्त दो वर्ष के लिए), यात्रा भत्ता (स्थानीय-राष्ट्रीय)-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष मिलेंगे। सचिवालय सहायता-1.50 लाख रुपए प्रतिवर्ष, कार्यशाला, सेमिनार, ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम (summer course) और अन्य कार्य-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष, और फील्ड वर्क, डाटा संग्रहण और अन्य कार्य के लिए 1.20 लाख रुपए प्रतिवर्ष मिलेंगे। लेकिन कुलपति के कामकाज पर रोक के चलते दयानंद चेयर का विधिवत उद्घाटन नहीं हो पाया है।
दयानंद चेयर के लिए यूजीसी वित्तीय मदद करेगा। इसमें किताबों-जर्नल्स (books and journals) के लिए 1.50 लाख रुपए (पांच साल के लिए) 30 हजार रुपए (अतिरिक्त दो वर्ष के लिए), यात्रा भत्ता (स्थानीय-राष्ट्रीय)-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष मिलेंगे। सचिवालय सहायता-1.50 लाख रुपए प्रतिवर्ष, कार्यशाला, सेमिनार, ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम (summer course) और अन्य कार्य-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष, और फील्ड वर्क, डाटा संग्रहण और अन्य कार्य के लिए 1.20 लाख रुपए प्रतिवर्ष मिलेंगे। लेकिन कुलपति के कामकाज पर रोक के चलते दयानंद चेयर का विधिवत उद्घाटन नहीं हो पाया है।
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महर्षि दयानंद सरस्वती का अजमेर से खास नाता रहा है। 1883 में उनका आगरा गेट स्थित भिनाय कोठी में ही निर्वाण हुआ था। उनका अंतिम संस्कार पहाडग़ंज स्थित ऋषि निर्वाण स्थल में किया गया था। पुष्कर रोड पर आनासागर (Anasagar lake) के किनारे ऋषि आश्रम बना हुआ है। यहां प्रतिवर्ष ऋषि मेले का आयोजन होता है।
महर्षि दयानंद सरस्वती का अजमेर से खास नाता रहा है। 1883 में उनका आगरा गेट स्थित भिनाय कोठी में ही निर्वाण हुआ था। उनका अंतिम संस्कार पहाडग़ंज स्थित ऋषि निर्वाण स्थल में किया गया था। पुष्कर रोड पर आनासागर (Anasagar lake) के किनारे ऋषि आश्रम बना हुआ है। यहां प्रतिवर्ष ऋषि मेले का आयोजन होता है।