राजभवन और सरकार महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) से खिलवाड़ में जुटे हैं। दोनों ने प्रदेश के दो विश्वविद्यालयों का प्रभार दूसरे कुलपतियों (vice chancellor) को दिया है, लेकिन अजमेर की अनदेखी जारी है। यहां 11 महीने से कुलपति पद का मामला अटका हुआ है।
विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (Prof r.p.singh) के कामकाज पर 11 अक्टूबर से राजस्थान हाईकोर्ट (rajasthan high court) ने कामकाज करने पर रोक लगाई थी। यह अब तक कायम है। हाईकोर्ट ने 2 अगस्त को हुई सुनवाई में फैसला सुरक्षित रखा था। तबसे एक महीने बीत चुका है। राजभवन ने फरवरी में डीन कमेटी (dean committee) गठित की थी, लेकिन वह भी अब सक्रिय नहीं है।
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राजभवन और सरकार ने दो विश्वविद्यालयों (two universities) के कुलपतियों को अतिरिक्त दायित्व दिए हैं। इनमें जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU Jodhpur) का प्रभार कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति डॉ. बी.एल. चौधरी और श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (KN UNIVERSITY) का प्रभार संस्कृत विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अनुला मौर्य को सौंपा गया है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के प्रति सरकार (state govt) और राजभवन (Raj bhawan) गंभीर नहीं हैं।
राजभवन और सरकार ने दो विश्वविद्यालयों (two universities) के कुलपतियों को अतिरिक्त दायित्व दिए हैं। इनमें जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU Jodhpur) का प्रभार कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति डॉ. बी.एल. चौधरी और श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (KN UNIVERSITY) का प्रभार संस्कृत विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अनुला मौर्य को सौंपा गया है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के प्रति सरकार (state govt) और राजभवन (Raj bhawan) गंभीर नहीं हैं।
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विश्वविद्यालय में कुलपति की गैर मौजूदगी से हालात बिगड़ चुके हैं। हजारों विद्यार्थियों-शोधार्थियों (student and scholors)की निगाहें कुलपति पर टिकी हैं। यहां 2018-19 में नवां दीक्षांत समारोह नहीं पदक और हजारों डिग्रियां अटकी हैं। अन्तर कॉलेज सांस्कृतिक कार्यक्रम, 250 से ज्यादा सरकारी-निजी कॉलेज की सम्बद्धता, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) का 11.19 करोड़ रुपए का बजट, यूजीसी से स्वीकृत ऋषि दयानंद चेयर का काम ठप है। इसके अलावा 20 नए शिक्षकों की भर्ती (New recruitment), निलंबित प्रो.सतीश अग्रवाल के मामले की आंतरिक जांच नहीं हो पाई है। यह सूचनाएं सरकार और राज्यपाल के पास पहुंच चुकी हैं।
विश्वविद्यालय में कुलपति की गैर मौजूदगी से हालात बिगड़ चुके हैं। हजारों विद्यार्थियों-शोधार्थियों (student and scholors)की निगाहें कुलपति पर टिकी हैं। यहां 2018-19 में नवां दीक्षांत समारोह नहीं पदक और हजारों डिग्रियां अटकी हैं। अन्तर कॉलेज सांस्कृतिक कार्यक्रम, 250 से ज्यादा सरकारी-निजी कॉलेज की सम्बद्धता, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) का 11.19 करोड़ रुपए का बजट, यूजीसी से स्वीकृत ऋषि दयानंद चेयर का काम ठप है। इसके अलावा 20 नए शिक्षकों की भर्ती (New recruitment), निलंबित प्रो.सतीश अग्रवाल के मामले की आंतरिक जांच नहीं हो पाई है। यह सूचनाएं सरकार और राज्यपाल के पास पहुंच चुकी हैं।