अजमेर

प्रो.अग्रवाल रहेंगे 29 तक जेल में, बंद बैंक लॉकर पर एसीबी की खास नजरें

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अजमेरOct 16, 2018 / 08:51 pm

raktim tiwari

prof agrawal in judicial custody

अजमेर.
महिला शोधार्थी से 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सतीश अग्रवाल को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अजमेर चौकी ने मंगलवार को विशेष अदालत में पेश किया। अदालत ने प्रो. अग्रवाल को 29 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिए।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसीबी अजमेर चौकी) सीपी शर्मा ने बताया कि रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए हनुमान नगर निवासी प्रो. अग्रवाल के मकान की तलाशी में एक बैंक लॉकर की चाबी मिली है। लॉकर की चाबी को एसीबी ने जब्त किया है। लॉकर प्रो. अग्रवाल या उनके परिजन की मौजूदगी में खुलवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अग्रवाल की पत्नी निजी कॉलेज में सेवारत है। वहीं दो बेटे विदेश में कार्यरत हैं। ऐसे में सम्पत्ति संबंधित आकलन परिवार की सकल आय पर किया जाना है।
लॉकर पर रहेगी नजर
एसीबी के मुताबिक प्रो. अग्रवाल के लॉकर पर विशेष नजर रहेगी। अब तक की तलाशी में सम्पत्ति संबंधित दस्तावेज और एक लॉकर की चाबी मिली है। अब देखने वाली बात है कि प्रो. अग्रवाल के बैंक लॉकर में क्या-क्या मिलता है।
मुखर होने लगे छात्र-छात्राएं

रिश्वत के मामले में पकड़े जाने के बाद प्रो. अग्रवाल की करतूतें अब बाहर आने लगी है। मदस विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं भी अब शैक्षणिक कार्यों से जुड़े उनके लेन-देन की चर्चा कर रहे है। गौरतलब है कि प्रो. अग्रवाल विधि संकाय के विभागाध्यक्ष है। यहां एलएलएम पाठ्यक्रम संचालित है। कथित तौर पर प्रो. अग्रवाल एलएलएम में होने वाले लघुशोध में भी बिना सुविधा शुल्क कामकाज को आगे नहीं बढ़ाते थे। विद्यार्थियों ने कुलपति को पूर्व में शिकायतें भी की थी लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यह है मामला

एसीबी अजमेर चौकी ने 15 अक्टूबर दोपहर मदस विश्वविद्यालय में भारत विद्या अध्ययन संकूल में डीन (स्नातकोत्तर) प्रो. सतीश अग्रवाल को महिला शोधार्थी से 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। प्रो. अग्रवाल ने शोधार्थी से जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) के रूप में आए तीन लाख रुपए में से डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। प्रो. अग्रवाल पूर्व में 25 हजार रुपए ले चुके थे शोधार्थी की मिन्नतें करने पर प्रो. अग्रवाल ने रकम घटाकर 75 हजार रुपए कर दी थी, जिसमें से वह 25 हजार रुपए में ले चुके थे।

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