वर्ष 1987 में स्थापित मदस विश्वविद्यालय कला, वाणिज्य, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, विधि प्रबंध अध्ययन और अन्य संकाय में एम.ए, एम. कॉम और एम.एस.सी फाइनल में अव्वल रहने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण (gold medal)और रजत पदक (silver medal) देता है। दीक्षान्त समारोह (convocation) में यह पदक चक्रानुसार दिए जाते हैं, ताकि किसी एक संकाय को बार-बार पदक लेने का मौका नहीं मिले। विश्वविद्यालय में स्नातक (बीए/बी.कॉम/बी.एससी) स्तर पर टॉपर्स (under graduate) को पदक देने का प्रावधान नहीं है। जबकि देश के कई विश्वविद्यालयों (universities) में स्नातक स्तर के टॉपर्स को भी पदक दिए जाते हैं।
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बीते 32 साल में विश्वविद्यालय ने कला, वाणिज्य, विज्ञान संकाय के लाखों अभ्यर्थियों की परीक्षा (annual exam)कराई। इनमें स्नातक स्तर पर टॉप (topper) करने वाले होनहार विद्यार्थियों को कभी पदक नहीं मिले। विश्वविद्यालय ने शुरूआत से इन्हें पदक देने का कोई प्रावधान नहीं रखा। अब तक हुए आठ दीक्षान्त समारोह में स्नातक स्तरीय टॉपर्स को पदक नहीं दिए गए।
बीते 32 साल में विश्वविद्यालय ने कला, वाणिज्य, विज्ञान संकाय के लाखों अभ्यर्थियों की परीक्षा (annual exam)कराई। इनमें स्नातक स्तर पर टॉप (topper) करने वाले होनहार विद्यार्थियों को कभी पदक नहीं मिले। विश्वविद्यालय ने शुरूआत से इन्हें पदक देने का कोई प्रावधान नहीं रखा। अब तक हुए आठ दीक्षान्त समारोह में स्नातक स्तरीय टॉपर्स को पदक नहीं दिए गए।
read more: student union election : 27 को होंगे छात्रसंघ चुनाव, मतगणना 28 को 2016 के बाद से धूल…. 2016 में एकेडेमिक कौंसिल और प्रबंध मंडल की बैठक में स्नातक स्तरीय टॉपर्स का मुद्दा रखा गया, लेकिन इस पर नीतिगत फैसला (final decision)नहीं हो सका। पूर्व कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी के कार्यकाल में कुछ कवायद हुई थी,पर बाद में मामला कागजों (papers) में कैद हो गया। बॉम सदस्यों, अधिकारियों के अड़ंगा लागने से कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। प्रशासन ने परीक्षा और एकेडेमिक विभाग (academic department) से एक्ट खंगालने अथवा नियम बनाने की जरूरत भी नहीं समझी है।
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