कभी राज्य के सर्वाधिक जिलों की परीक्षाएं कराने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का दायरा अब संभाग तक सिमट गया है, लेकिन यह बचत के मामले में राज्य के के दूसरे विश्वविद्यलायों से कहीं आगे है। प्री.बीएड, बीएसटीसी, आरपीएमटी, पीसी-पीएमटी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के सफल आयोजन और कम खर्चे में कामकाज के चलते यह संभव हुआ है।
साल 1987 में स्थापित मदस विश्वविद्यालय (तब अजमेर यूनिवर्सिटी) की राज्य में अहमियत रही है। कभी इसका दायरा अजमेर संभाग सहित श्रीगंगानगर, बाडमेर, पाली, जोधपुर, सिरोही, जालौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ तक फैला हुआ था। दूरस्थ जिलों की सालाना परीक्षाओं का उत्तरदायित्व इसके जिम्मे था।
अलग हुए बीकानेर-कोटा
राज्य सरकार ने साल 2003 में बीकानेर और कोटा में विश्वविद्यालय अस्तित्व में आए।दस साल पहले जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का दायरा कैंपस तक सिमटा था। बाद में इसे पाली, जालौर, सिरोही और अन्य जिलों के कॉलेज आवंटित कर दिए गए। इसके बाद मदस विश्वविद्यालय का दायरा अब अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा और नागौर जिले तक सिमट गया है।
राज्य सरकार ने साल 2003 में बीकानेर और कोटा में विश्वविद्यालय अस्तित्व में आए।दस साल पहले जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का दायरा कैंपस तक सिमटा था। बाद में इसे पाली, जालौर, सिरोही और अन्य जिलों के कॉलेज आवंटित कर दिए गए। इसके बाद मदस विश्वविद्यालय का दायरा अब अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा और नागौर जिले तक सिमट गया है।
परीक्षाओं से बनाई साख
मदस विश्वविद्यालय ने साल 1993 से 96, 1997 से 99 और 2004 से 2008 और 2015, 2018 में पीटीईटी सहित बीएसटीसी परीक्षा कराई। इसके अलावा 2006 में पीएमटी, 2016-17 में पीसीपीएमटी परीक्षा का आयोजन किया। इन परीक्षाओं के सफल आयोजन से विश्वविद्यालय की राज्य में साख बनी।
मदस विश्वविद्यालय ने साल 1993 से 96, 1997 से 99 और 2004 से 2008 और 2015, 2018 में पीटीईटी सहित बीएसटीसी परीक्षा कराई। इसके अलावा 2006 में पीएमटी, 2016-17 में पीसीपीएमटी परीक्षा का आयोजन किया। इन परीक्षाओं के सफल आयोजन से विश्वविद्यालय की राज्य में साख बनी।
कम खर्चे, बचत पर फोकस
विश्वविद्यालय ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कम खर्चे और बचत पर फोकस किया। प्रश्न पत्रों के मुद्रण में पन्नों का बेहतर उपयोग, काउंसलिंग के कम खर्चे और बैंक में समय पर निवेश से विश्वविद्यालय को फायदा हुआ। 2007 में विवि की बचत 100 करोड़ रुपए थी। 14 साल में यह आंकड़ा करीब 450 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया है।
विश्वविद्यालय ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कम खर्चे और बचत पर फोकस किया। प्रश्न पत्रों के मुद्रण में पन्नों का बेहतर उपयोग, काउंसलिंग के कम खर्चे और बैंक में समय पर निवेश से विश्वविद्यालय को फायदा हुआ। 2007 में विवि की बचत 100 करोड़ रुपए थी। 14 साल में यह आंकड़ा करीब 450 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया है।
फैक्ट फाइल
1987 में हुई थी स्थापना
300 कॉलेज हैं सम्बद्ध
3.50 लाख विद्यार्थियों की कराता है परीक्षाएं
04 जिले जुड़े हैं विवि से
1987 में हुई थी स्थापना
300 कॉलेज हैं सम्बद्ध
3.50 लाख विद्यार्थियों की कराता है परीक्षाएं
04 जिले जुड़े हैं विवि से