अजमेर

अजमेर के इस यूनिवर्सिटी में बनेगा दुनिया का नायाब BOTANICAL GARDEN

रेगिस्तान में लगने वाले थोर, नागफणी, पत्थर चट्टा सहित विभिन्न प्रदेशों में पाए जाने वाले औषधीय महत्ता के पौधे शीघ्र महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में दिखेंगे।

अजमेरSep 10, 2016 / 10:29 am

​ajay yadav

botanical garden

रेगिस्तान में लगने वाले थोर, नागफणी, पत्थर चट्टा सहित विभिन्न प्रदेशों में पाए जाने वाले औषधीय महत्ता के पौधे शीघ्र महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में दिखेंगे। विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर का बॉटनीकल गार्डन बनाने जा रहा है। निजी फर्म को तीन साल के लिए गार्डन का ठेका दिया जाएगा।
विश्वविद्यालय में मौजूदा वक्त कोई बॉटनीकल गार्डन नहीं है। यहां बीस वर्ष पूर्व गार्डन बनवाने की कोशिशें और योजनाएं नाकामयाब रही। प्रशासनिक कमजोरी से यह कागजों से बाहर नहीं निकल पाया। कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में निर्मित बॉटनीकल गार्डन देखे और विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्तर का बॉटनीकल गार्डन बनाने की योजना बनाई। पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर सहित अन्य शिक्षकों-अधिकारियों की कमेटी बनाई गई है।
देंगे गार्डन को ठेके पर

विश्वविद्यालय दीक्षान्त पार्क अथवा इसके आसपास बॉटनीकल गार्डन बनवाएगा। गार्डन को तीन साल के लिए निजी फर्म को ठेके पर दिया जाएगा। पौधों की देखरेख, खाद-पानी का इंतजाम ठेकेदार को करना होगा। ठेकेदार को गार्डन में लगाए जाने वाले पौधों की जानकारी कमेटी को देनी होगी। विश्वविद्यालय गार्डन में पानी की समुचित व्यवस्था करेगा? यहां ग्रीन और पॉली हाउस, पुष्पीय पौधे भी लगा जा सकेंगे। ये लगेंगे गार्डन में पौधे
मरुभूमि का राज्य वृक्ष खेजड़ी, नागफणी, मदार (आंकड़ा), जंगली बबूल, कमल केक्टस, सिलेंड्रिकल स्नैक (सर्पाकार पौदा) बेर, कैर, सांगरी, थोर, पत्थर चट्टा, रोझड़ा, सर्पगंधा, गौंदा, आंवला, वज्रदंती, अमलतास, पुदीना, अर्जुन, गुग्गल। इन पौधों से आयुर्वेद में किडनी, पेट, दांत और अन्य बीमारियों की दवाई बनाई जाती है।
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान का पार्क नायाब

वर्ष 1962 में स्थापित क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान का थीम पार्क शहर में सबसे नायाब है। यहां लहसन, सुपारी, गौंदा, कैर, अदरक सहित विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा गुलाबी, सफेद, लाल गुलाब की कई किस्में, मेहन्दी, चमेली, दिन का राजा, गुड़हल, इंडियन रेड वुड, कोचिया, गैंदा, कनेर, लिलि, अशोक, बोगनवेलिया सहित कई पेड़-पौधों की किस्में देखी जा सकती हैं।
फैक्ट फाइल……

विश्व में उच्च स्तरीय बॉटनीकल गार्डन-1800

-यूरोप में 550, रूस में 150, अमरीका-200

-भारत और अन्य देशों-महाद्वीपों में-900

-बॉटनीकल गार्डन कंजर्वेशन इन्टरनेशनल सोसायटी में सदस्य-700 (118 देश)

(स्त्रोत-वल्र्ड लाइफ फंड)
दुनिया के मशहूर बॉटनीकल गार्डन

-हैंगिंग गार्डन बेबीलोन-16 वीं शताब्दी

-चेल्सियर गार्डन-1673

रॉयल वॉवेरिंग गार्डन कीव ब्रिटेन-1759

-रॉयल बंगाल गार्डन-1905

-मेक्सिकन हाउस-1844

भारत में नामचीन बॉटनीकल गार्डन

-ऑरेविल बॉटनीकल गार्डन तमिलनाडु
-गार्डन ऑफ मेडिसनल प्लान्ट पश्चिम बंगाल

-मैसूर यूनिवर्सिटी बॉटनीकल गार्डन मैसूर

-लालबाग बॉटनीकल गार्डन बेंगलूरू

-कर्जन पार्क मैसूर

विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्तरीय बॉटनीकल गार्डन बनाया जाएगा। इसे निजी फर्म को ठेके पर देंगे। उच्च स्तरीय कमेटी के साथ फर्म इसकी देखरेख करेगी।
प्रो. प्रवीण माथुर, विभागाध्यक्ष पर्यावरण विज्ञान

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