अजमेर

सर्दी बढ़ी, ठाकुरजी ने भी ओढ़े शॉल-दुशाले

– देव प्रतिमा को पहनाए गर्म वस्त्र- मंगला व शयन आरती के समय में बदलाव

अजमेरDec 02, 2021 / 01:44 am

tarun kashyap

सर्दी बढ़ी, ठाकुरजी ने भी ओढ़े शॉल-दुशाले

तरुण कश्यप.
अजमेर. मार्गशीर्ष मास शुरू होने के साथ ही शहर के मंदिरों में ठाकुरजी की दिनचर्या में बदलाव आने लगा है। सर्दी बढऩे के साथ इन दिनों मंदिरों में देव प्रतिमाओं को गर्म कपड़े पहनाए जाने लगे हैं। मंदिरों में मंगला और शयन आरती के समय में बदलाव हुआ है। देवस्थान प्रबंधित व नियंत्रित मंदिरों सहित पुष्टिमार्गीय मंदिर में की जाने वाली ठाकुर जी की नियमित सेवा के साथ ठाकुर जी के भोग श्रृंगार पोशाक तथा दर्शन के समय में आंशिक परिवर्तन हुआ है।
तीर्थ नगरी पुष्कर सहित अजमेर के लगभग सभी मंदिरों में सर्दी के आगमन के साथ बदलाव शुरू हो जाता है। मंदिरों में देव प्रतिमाओं को गर्म चोले ओढ़ाए जाते हैं। श्रृद्धालु भी अपनी श्रृद्धानुसार मंदिरों में दान दक्षिणा प्रदान करते हैं। आगरा गेट स्थित गणेश मंदिर के पुजारी पं. धनश्याम आचार्य ने बताया कि भगवान को गर्म पोशाक पहनाई जाती है। कृष्णगंज माली मोहल्ला स्थित मंदिर के पुजारी पं. प्रहलाद शर्मा ने बताया कि आने वाले दो माह तक ठाकुरजी को गर्म कपड़ों में रखा जाएगा। उनके भोजन व प्रसाद में भी बदलाव होता है।
मौसम का असर
मंदिरों की दिनचर्या मौसम के अनुरूप बदलती रहती है। गर्मियों में कई मंदिरों में देव प्रतिमाओं के पास पंखे लगाए जाते हैं, बर्फ की झांकी सजाई जाती है वहीं सर्दियों में कई जगह मंदिरों में सिगड़ी, रूम हीटर तक जलाए जाते हैं।
गर्म पोशाकों में लड्डू गोपाल
इन दिनों घरों में कृष्ण के बालरूप लड्डू गोपाल को रखने का चलन बढ़ गया है। उनके लिए लोग सर्दियों में विशेष व्यवस्था करते हैं। बाजार में देव प्रतिमाओं की पोशाक की कई दुकानें हैं। सर्दियों में इन दुकानों पर लड्डू गोपाल व देव प्रतिमाओं के लिए ऊ नी वस्त्रों सहित रजाई व गद्दे भी मिलने लगे हैं।
यह है मान्यता
श्रीमद भागवत के अनुसार मार्गशीर्ष मास वर्ष का नौंवा माह होता है। प्रत्येक चंद्रमास का नाम उसके नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। मार्गशीर्ष माह में मृगशिरा नक्षत्र होता है। इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे अगहन मास के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस महीने को श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है। इस माह में पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
अर्जुन को दिया था उपदेश
धर्मग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में धनुर्धारी अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था। इस माह में गीता का दान भी शुभ माना जाता है। मान्यतानुसार इस मास में गंगा, यमुना आदि नदियों में स्नान शुभ माना गया है।
आने वाले प्रमुख व्रत और त्योहार
02 दिसंबर – प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि

04 दिसंबर – अमावस्या तिथि, सूर्य ग्रहण
05 दिसंबर – मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा, हेमंत ऋतु, चंद्र दर्शन

07 दिसंबर – मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी, विनायक चतुर्थी
08 दिसंबर – विवाह पंचमी
09 दिसंबर – स्कंद षष्टी
11 दिसंबर – मासिक दुर्गाष्टमी व्रत

14 दिसंबर – मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती
15 दिसंबर – मतस्य द्वादशी

16 दिसंबर – अनंग त्रयोदशी व्रत, प्रदोष व्रत , धनु संक्रांति
18 दिसंबर-रोहिणी व्रत, पूर्णिमा व्रत, दत्तात्रेय जयंती
19 दिसंबर – अन्नपूर्णा जयंती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा, त्रिपुर भैरवी जयंती

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