सोनम राणावत/अजमेर. महिला आयोग की सदस्य डॉ. रीटा भार्गव ने कहा कि जरूरी नहीं कि हर जगह पुरुष ही जिम्मेदार हो।कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें महिलाएं पुलिस को गुमराह करती हैं। अजमेर प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि महिला उत्पीडऩ व अत्यााचार के ऐसे कई मामले हैं जिनमें महिलाएं परिवार व पुलिस को गुमराह करती हं। साथ ही लोकलाज व पारिवारिक प्रतिष्ठा के चलते वह पुलिस को शिकायत नहीं कर पाती है।
डॉ. भार्गव ने कहा कि कामकाजी महिलाएं भी अपने कार्यस्थल पर छेड़छाड़ का शिकार होती हैं। अजमेर के एक थाने में तैनात महिला कांस्टेबल इसका उदाहरण है। उन्होंने बताया कि पुलिस लाइन में महिला पुलिसकर्मियों से बातकर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। इसमें सामने आया कि महिलाएं कई मर्तबा अपने अधिकारी की छेड़छाड़ का शिकार होती है। उन्होंने महिला पुलिस कर्मियों को आवाज उठाने और आलाधिकारी से शिकायत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि एसपी राजेन्द्र सिंह से मुलाकात में प्रकरण को संज्ञान में लाकर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। एसपी सिंह ने भी आरोपित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
सामने नहीं आई पीडि़ताएं राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में चयन के नाम पर देहशोषण के मामले में डॉ. भार्गव ने कहा कि मामले में पुलिस अधीक्षक से बात की गई। प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पीडि़ता बालिग है और उसने शिकायत देने से इन्कार कर दिया है। पहले यह सामने आया कि वीडियो में नजर आने वाले विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं, फिर भी मामले में जिला पुलिस से तथ्यात्मक जांच रिपोर्ट मांगी गई है।
घबराएं नहीं सामने आए डॉ. भार्गव ने कहा कि छेड़छाड़ के मामले में स्कूल कॉलेज की छात्राएं सामने नहीं आती हैं। ऐसी बच्चियों के परिजन उनकी सुनें व समझने की कोशिश करें। बिना किसी डर के शिकायत करें।
महिला बंदियों के हाल खराब डॉ. भार्गव ने अजमेर सेंट्रल जेल में महिला बंदियों से भी मुलाकात की। उन्होंने बताया कि जेल में अभी 28 महिला बंदी हैं। महिला बंदियों के बैरक के हालात देखे। बैरक में साफ-सफाई का अभाव होने के साथ सीलन का माहौल भी एक सजा है। बैरक में मौजूद कम्बल गीले मिले। वहीं कार्यवाहक जेलर को साफ-सफाई के अलावा महिला बंदियों के क्रिएटिव आर्ट सिलाई, बुनाई की व्यवस्था करने के आदेश दिए।
क्रिएटिव आर्ट की ट्रेनिंग भार्गव ने बताया कि राजस्थान की कई जेलों में महिला कैदियों को क्रिएटिव आर्ट सिलाई, बुनाई इत्यादि की ट्रेनिंग दी जाती है , इसी तरह अजमेर में भी महिला कैदियों की क्रिएटिविटी को उजागर करने के लिए यहां भी एसे प्रायोजन किए जाएंगे जिससे उन्हें कला कौशल सीखने को मिले।