मानसून (monsoon) की बेरूखी और कम बरसात से हरे पौधों (green plants) पर संकट मंडरा सकता है। वन विभाग ने जिले में पौधरोपण कराया है, लेकिन पर्याप्त बारिश नही हुई तो इनकी सार-संभाल करना आसान नहीं होगा।
वन विभाग प्रतिवर्ष बरसात (low rainfall) के दौरान जिले में फलदार, छायादार और पुष्पीय पौधे लगाता है। यह कार्य स्वयं सेवी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, स्काउट-गाइड, सरकारी महकमों, शैक्षिक संस्थाओं के जरिए होता है। इस बार भी विभाग ने विभिन्न पौधशाला (green palnts)में कई प्रजातियों के पौधे तैयार कराए हैं। साथ ही पौधरोपण कार्य शुरू भी कर दिया है। लेकिन मानसून की चाल सुस्त पड़ी है। जिले में करीब 170 मिलीमीटर बरसात हुई है। जबकि जिले की औसत बरसात 550 मिलीमीटर है।
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विभाग (forest dept) ने अच्छी बरसात की आस में जिले के ब्यावर, पुष्कर, खरवा, सरवाड़, केकड़ी, नसीराबाद, किशनगढ़, अजमेर और अन्य इलाकों में पौधरोपण (plantation) करायाहै। पहले जून अंत में मानसून की सक्रियता के दावे किए गए थे। लेकिन बरसात जुलाई में शुरू हुई। कम बरसात के चलते वन विभाग की परेशानी बढ़ी हुई है। मालूम हो कि साल 2015 में कम बरसात के चलते विभाग को ढाई हजार के बजाय 1 हजार हेक्टेयर इलाके में ही पौधरोपण कराना पड़ा था।
विभाग (forest dept) ने अच्छी बरसात की आस में जिले के ब्यावर, पुष्कर, खरवा, सरवाड़, केकड़ी, नसीराबाद, किशनगढ़, अजमेर और अन्य इलाकों में पौधरोपण (plantation) करायाहै। पहले जून अंत में मानसून की सक्रियता के दावे किए गए थे। लेकिन बरसात जुलाई में शुरू हुई। कम बरसात के चलते वन विभाग की परेशानी बढ़ी हुई है। मालूम हो कि साल 2015 में कम बरसात के चलते विभाग को ढाई हजार के बजाय 1 हजार हेक्टेयर इलाके में ही पौधरोपण कराना पड़ा था।
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पुष्पीय पौधे-गुलाब, चांदनी, चमेली, गुड़हल, नाग चम्पा, कनेर, बोगनवेलिया, रात रानी, क्रोटन, रेलिया
पुष्पीय पौधे-गुलाब, चांदनी, चमेली, गुड़हल, नाग चम्पा, कनेर, बोगनवेलिया, रात रानी, क्रोटन, रेलिया
फलदार-अमरूद, जामुन, सीताफल, अनार, इमली, गौंदा, फालसा, पपीता लाखों पौधे हो चुके नष्ट
वन विभाग (forest dept) और सरकार (state of government) बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी (water crisis)और सार-संभाल के अभाव में करीब 30 लाख पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं।
वन विभाग (forest dept) और सरकार (state of government) बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी (water crisis)और सार-संभाल के अभाव में करीब 30 लाख पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं।