अजमेर

LAW COLLEGE: लॉ कॉलेज ने मांगी विद्यार्थियों से अंडर टेकिंग

LAW COLLEGE: विद्याऐर्थी वेबसाइट से अंडरटेकिंग के आवेदन पत्र डाउनलोड कर सकेंगे। साथ ही निर्धारित शुल्क का ड्राफ्ट प्राचार्य लॉ कॉलेज के नाम बनवाकर जमा करा सकेंगे।

अजमेरAug 02, 2019 / 08:50 am

raktim tiwari

law college ajmer

अजमेर. लॉ कॉलेज (law college) में विधि प्रथम (first year ), द्वितीय वर्ष (seocnd year) एवं एलएलएम पूर्वाद्र्ध (llm previous) की परीक्षा में शामिल विद्यार्थियों से 14 अगस्त तक अंडर टेकिंग मांगी गई है।
प्रवेश समिति समन्वयक डॉ. आर. एन. चौधरी ने बताया कि सत्र 2018-19 की परीक्षा में प्रथम, द्वितीय वर्ष और एलएलएम पूर्वाद्र्ध के विद्यार्थी शामिल हुए हैं। सत्र 2019-20 में प्रवेश के लिए इन्हें अंडर टेकिंग (under taken) देनी होगी। विद्याऐर्थी वेबसाइट (website) से अंडरटेकिंग के आवेदन पत्र डाउनलोड (download)कर सकेंगे। साथ ही निर्धारित शुल्क (fees) का ड्राफ्ट (draft) प्राचार्य लॉ कॉलेज के नाम बनवाकर जमा (deposit draft) करा सकेंगे। निर्धारित तिथि के बाद आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
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कब होंगे प्रथम वर्ष के प्रवेश?

सत्र 2019-20 में प्रथम वर्ष के दाखिलों (first year admission)का अता-पता नहीं है। कॉलेज को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) से सम्बद्धता पत्र नहीं मिल पाया है। सम्बद्धता पत्र (affiliation letter) मिलने के बाद इसे बार कौंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को भेजा जाएगा। वहां से अनुमति मिलने के बाद ही प्रथम वर्ष के प्रवेश की अनुमति (approval) मिलेगी। मालूम हो कि साल 2005-06 से प्रथम वर्ष में दाखिलों में लेटलतीफी चल रही है। सरकार (state govt) और बीसीआई ने इसका स्थाई समाधान नहीं खोजा है।
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तीन साल की सम्बद्धता में रोड़े

बार कौंसिल ने विश्वविद्यालयों को सभी लॉ कॉलेज को एक के बजाय तीन साल की एकमुश्त सम्बद्धता देने को कहा। फिर भी सरकार (government) और विश्वविद्यालय (mds university) कोई फैसला नहीं ले पाए हैं। जहां विश्वविद्यालय अपनी स्वायतत्ता छोडऩा नहीं चाहते। वहीं सरकार इस मुद्दे को कॉलेज और विश्वविद्यालय के बीच मानते हुए दूरी बनाए हुए है।
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सुविधाओं का अभाव

यूजीसी के नियमानुसार किसी भी लॉ कॉलेज (law college) में मौजूदा वक्त पर्याप्त शिक्षक (faculty) नहीं है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार, और अन्य सुविधाएं (facilities)नहीं हैं। विद्यार्थियों से विकास और खेल शुल्क वसूला जाता है, पर उसका उपयोगिता नहीं दिख रही है।

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