प्रदेश में वर्ष 2005 में 15 लॉ कॉलेज स्थापित हुए थे। इनमें अजमेर भी शामिल है। कॉलेज को बार कौंसिल ऑफ इंडिया से स्थाई मान्यता नहीं मिल पाई है। कॉलेज को हर साल महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से सम्बद्धता लेनी पड़ती है। बाद सम्बद्धता पत्र और निरीक्षण रिपोर्ट बार कौंसिल को भेजी जाती है। इसके बाद प्रथम वर्ष में प्रवेश होते हैं। इस बार भी कमोबेश हालात वैसे ही हैं।
विश्वविद्यालय संवारेगा कॉलेज का भविष्य 1 अगस्त 1987 को स्थापित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का कोई संघठक कॉलेज नहीं है। जबकि राज्य में राजस्थान विश्वविद्यालय, उदयपुर के एम.एल. सुखाडिय़ा और जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के संघठक कॉलेज हैं। मदस विश्वविद्यालय ने लॉ कॉलेज की बदहाली को देखते हुए इसका अपना संघठक कॉलेज बनाने की योजना बनाई है। इसका विस्तृत प्रस्ताव बनाकर उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी को भेजा जाएगा।
13 साल में बदहाल हुआ कॉलेज यूजीसी के नियमानुसार किसी भी विभाग में एक प्रोफेसर, दो रीडर और तीन लेक्चरर होने चाहिए। लॉ कॉलेज में 13 साल में कभी पर्याप्त स्टाफ नहीं रहा। यहां प्राचार्य सहित छह शिक्षक हैं। एक मंत्रालयिक कर्मचारी डेप्युटेशन पर जयपुर तैनात है। उसकी पगार कॉलेज से उठ रही है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार, और अन्य सुविधाएं नहीं हैं। कॉलेज ने तीन साल की एकमुश्त सम्बद्धता के लिए विश्वविद्यालय को 7.40 लाख जमा कराए हैं। साथ ही सत्र 2018-19, 2019-2020 और 2020-2021 की एकमुश्त सम्बद्धता देने को कहा है।
बीकानेर कॉलेज को यूजीसी की मान्यता प्रदेश में अजमेर सहित बीकानेर भीलवाड़ा, सीकर, नागौर, सिरोही, बूंदी, कोटा, झालावाड़ और अन्य कॉलेज शामिल हैं। पिछले सत्र तक कोई लॉ कॉलेज यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ में पंजीकृत ही नहीं था। इस बार बीकानेर लॉ कॉलेज का यूजीसी में पंजीयन हो गया है। प्रदेश के बाकी लॉ कॉलेज के पंजीयन का अता-पता नहीं है।
संघठक कॉलेज बना तो यह फायदा -हर साल सम्बद्धता और मान्यता लेने का चक्कर नहीं
-विश्वविद्यालय का लॉ विभाग होगा समृद्ध
-विश्वविद्यालय में बढ़ेगी विद्यार्थियों की संख्या
-लॉ कॉलेज में बढ़ेंगे संसाधन
-विश्वविद्यालय की विकास योजनाओं का मिलेगा लाभ
पहले बनने थे इंजीनियरिंग कॉलेज विश्वविद्यालय ने पिछले साल बॉयज और महिला इंजीनियरिंग कॉलेज को संघठक कॉलेज बनाने की योजना बनाई थी। उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग इसके लिए तैयार भी थे। लेकिन दोनों कॉलेज में ही अंदरूनी स्तर पर विरोध किया गया। कई वित्तीय और प्रशासनिक सुविधाएं छिनने की आशंका से कॉलेजों ने प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डलवा दिया।
लॉ कॉलेज को जल्द विश्वविद्यालय का संघठक कॉलेज बनाएंगे। इसका विस्तृत प्रस्ताव बनाकर उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग को भेजेंगे। एक्ट में संशोधन और अन्य प्रक्रिया को भी पूरा करेंगे।
प्रो. विजय श्रीमाली, कुलपति मदस विश्वविद्यालय