लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष (first year) के दाखिलों पर तलवार लटकी हुई है। सत्र 2019-20 के 18दिन बीत चुके हैं। फिर भी दाखिलों की अनुमति नहीं मिल पाई है। कॉलेज को 14 साल से बार कौंसिल ऑफ इंडिया (BCI)से स्थाई मान्यता नहीं मिली है। इसको हर साल महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से सम्बद्धता लेनी पड़ती है। सम्बद्धता पत्र और निरीक्षण रिपोर्ट बार कौंसिल ऑफ इंडिया को भेजी जाती है। कौंसिल की मंजूरी के बाद प्रथम वर्ष में दाखिले (new admission) होते हैं। इस बार भी हालात वैसे ही हैं।
नहीं कर सकते दाखिले बीसीआई को दी गई अंडर टेकिंग के अनुसार सरकार (state government) को अजमेर सहित अन्य लॉ कॉलेज में स्थाई प्राचार्य, पर्याप्त व्याख्याता और स्टाफ और संसाधन जुटाने हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय का सम्बद्धता पत्र भिजवाना है। सरकार और विश्वविद्यालय स्तर पर दोनों काम अटके हैं। मौजूदा सत्र के 18 दिन बीत चुके हैं। कॉलेज को अब तक प्रवेश (LLB Course) की इजाजत नहीं मिली है।
संसाधन और शिक्षकों की कमी
यूजीसी के नियमानुसार किसी भी विभाग में एक प्रोफेसर, दो रीडर और तीन लेक्चरर होने चाहिए। लॉ कॉलेज में प्राचार्य सहित 7 शिक्षक हैं। मौजूदा वक्त एक शिक्षक डेप्युटेशन पर जयपुर तैनात है। उसकी पगार कॉलेज से उठ रही है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार, और अन्य सुविधाएं नहीं हैं।
यूजीसी के नियमानुसार किसी भी विभाग में एक प्रोफेसर, दो रीडर और तीन लेक्चरर होने चाहिए। लॉ कॉलेज में प्राचार्य सहित 7 शिक्षक हैं। मौजूदा वक्त एक शिक्षक डेप्युटेशन पर जयपुर तैनात है। उसकी पगार कॉलेज से उठ रही है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार, और अन्य सुविधाएं नहीं हैं।
नहीं मिली तीन साल की सम्बद्धता बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सभी विश्वविद्यालयों को लॉ कॉलेज को तीन साल की एकमुश्त सम्बद्धता (affiliation) देने को कहा है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय एकेडेमिक कौंसिल (academic council) में इसे पारित कर चुका है। फिलहाल इस पर अमल नहीं हुआ है। तत्कालीन कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली (vice chancellor) ने विश्वविद्यालय के अकादमिक विभाग को सम्बद्धता पत्र जारी करने के निर्देश दिए थे, पर मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।