अजमेर. शहर की पहाडिय़ों पर अवैध (Illegal on the hills) रूप बसी बस्तियों पर मौत मंडरा रही है। पहाड़ की तलहटी और पहाड़ पर हजारों की संख्या में मकान ( house) बने हंै। मकानों से निकल रहे सीवरेज व बरसाती पानी (Rain water) से पहाड़ खोखले होते जा रहे हैं। हाल ही दरगाह सम्पर्क सडक़ पर पहाड़ के भूस्खलन किसी बड़े हादसे की चेतावनी ही है। अजमेर (ajmer) में दरगाह सम्पर्क सडक़ पर पहाड़ गिरने के बाद परकोटा की दीवार और पहाड़ी से पत्थर (stone) लगातार गिर रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन और यहां अवैध रूप से बसे लोग नहीं चेते तो भविष्य में किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।
हाल ही जोधपुर में भी पहाड़ (Mountains in jodhpur too) की तलहटी में बने मकानों पर परकोटे की दीवार गिर जाने से दो जनों की जान चली गई थी। ऐसे ही विकट हालात अजमेर (ajmer) में तलहटी से लेकर पहाड़ों पर बने मकानों के है। अधिकतर मकान ताश की पत्तियों की तरह एक के बाद एक ऊंचाई पर बने हुए हैं। आशंका है कि यदि एक मकान (one house) धराशायी होता है तो उसके नीचे बने मकानोंं पर ताश की पत्ती गिरने की तरह भी बड़ा कहर बरपेगा।
अजमेर के अंदरकोट (Innercoat) क्षेत्र, नागफणी रोड, बाबूगढ़, बड़ापीर रोड और लौंगिया सहित कई जगह पहाड़ी और उसकी तलहटी में हजारों की संख्या (Thousands) में मकान बन गए हैं। अवैध रूप से बने इन मकानों में बिजली-पानी (Electric-water)के कनेक्शन मिलने के कारण कुकरमुत्ता की तरह अवैध मकान बन गए। ऐसे में अब और बारिश आने की स्थिति में बड़ा हादसा होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
अजमेर के अंदरकोट (Innercoat) क्षेत्र, नागफणी रोड, बाबूगढ़, बड़ापीर रोड और लौंगिया सहित कई जगह पहाड़ी और उसकी तलहटी में हजारों की संख्या (Thousands) में मकान बन गए हैं। अवैध रूप से बने इन मकानों में बिजली-पानी (Electric-water)के कनेक्शन मिलने के कारण कुकरमुत्ता की तरह अवैध मकान बन गए। ऐसे में अब और बारिश आने की स्थिति में बड़ा हादसा होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
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दरगाह सम्पर्क सडक़ पर तीन दिन पहले बारिश के दौरान भू-स्खलन (Landslide) के चलते पहाड़ी पर बड़ा हिस्सा टूटकर गिर गया था। इसे तबाही की शुरूआत के रूप में देखा जा रहा है। यह तो गनीमत रही थी कि इस दौरान वहां पर कोई मौजूद नहीं था, अन्यथा जनहानि (Otherwise loss of life) हो सकती थी। अभी भी उक्त रोड पर कई जगह भू-स्खलन के चलते पत्थर गिर रहे है।
दरगाह सम्पर्क सडक़ पर तीन दिन पहले बारिश के दौरान भू-स्खलन (Landslide) के चलते पहाड़ी पर बड़ा हिस्सा टूटकर गिर गया था। इसे तबाही की शुरूआत के रूप में देखा जा रहा है। यह तो गनीमत रही थी कि इस दौरान वहां पर कोई मौजूद नहीं था, अन्यथा जनहानि (Otherwise loss of life) हो सकती थी। अभी भी उक्त रोड पर कई जगह भू-स्खलन के चलते पत्थर गिर रहे है।
परकोटे की दीवार गिरने की कगार पर
दरगाह सम्पर्क सडक़ के ऊपर परकोटे की दीवार (Wall covering) बनी हुई है। वह भी जगह-जगह से टूट चुकी है। अब उसका बड़ा हिस्सा टूटने की कगार पर है। इसका टूटकर नीचे बने मकानों पर गिरना (Fall on houses)तय है। ऐसे में पहाड़ी की तलहटी में बने मकानों को नुकसान पहुंचेगा और जनहानि होने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
दरगाह सम्पर्क सडक़ के ऊपर परकोटे की दीवार (Wall covering) बनी हुई है। वह भी जगह-जगह से टूट चुकी है। अब उसका बड़ा हिस्सा टूटने की कगार पर है। इसका टूटकर नीचे बने मकानों पर गिरना (Fall on houses)तय है। ऐसे में पहाड़ी की तलहटी में बने मकानों को नुकसान पहुंचेगा और जनहानि होने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
मलबा उठाने के काम जारी
दरगाह सम्पर्क सडक़ पर भू-स्खलन से रोड पर आए मलबे को हटाने का कार्य जारी है। प्रशासन ने एक पोकलेन मशीन और पांच डम्पर लगा रखे हंै। जानकारों की मानें तो यह मलबा तीन से चार हजार डम्पर (Three to four thousand dumper) का बताया जा रहा है। इस हटाने में १० से १५ दिन लगना बताया जा रहा है।
दरगाह सम्पर्क सडक़ पर भू-स्खलन से रोड पर आए मलबे को हटाने का कार्य जारी है। प्रशासन ने एक पोकलेन मशीन और पांच डम्पर लगा रखे हंै। जानकारों की मानें तो यह मलबा तीन से चार हजार डम्पर (Three to four thousand dumper) का बताया जा रहा है। इस हटाने में १० से १५ दिन लगना बताया जा रहा है।
इसलिए यह हैं जिम्मेदार :
-अजमेर विकास प्राधिकरण, अजमेर नगर निगम (ajmer nagar nigam) व वन विभाग (क्योंकि अफसरों की अनदेखी के कारण पहाड़ों पर बस गई अवैध बस्तियां) -जलदाय विभाग व अजमेर विद्युत वितरण निगम (अवैध बस्तियों में पानी-बिजली की सुविधा पहुंचा दी)
-जनप्रतिनिधि (चुनाव में वोटों का नुकसान न हो जाए, इसलिए चुप्पी साध लेते हैं। हाल ही एक मंत्री ने तो अवैध मकान ढहने के बाद आर्थिक सहयोग दिलाने का आश्वासन भी दे दिया।)
-अजमेर विकास प्राधिकरण, अजमेर नगर निगम (ajmer nagar nigam) व वन विभाग (क्योंकि अफसरों की अनदेखी के कारण पहाड़ों पर बस गई अवैध बस्तियां) -जलदाय विभाग व अजमेर विद्युत वितरण निगम (अवैध बस्तियों में पानी-बिजली की सुविधा पहुंचा दी)
-जनप्रतिनिधि (चुनाव में वोटों का नुकसान न हो जाए, इसलिए चुप्पी साध लेते हैं। हाल ही एक मंत्री ने तो अवैध मकान ढहने के बाद आर्थिक सहयोग दिलाने का आश्वासन भी दे दिया।)
एक्सपर्ट की राय… अरावली पर बढ़ता शहरीकरण सबसे बड़ा खतरा है। लोग मकानों के लिए नींव खोदकर पहाड़ी (The hill) क्षेत्र को खोखला कर रहे है। बरसात (rain) में इन्हीं खोदे गए क्षेत्रों में पानी भर रहा है। धीरे-धीरे यह पहाड़ दरकते जा रहे है। अरावली विश्व की सबसे मजबूत पर्बतमाला है, जबकि हिमालय इसके मुकाबले लचीला है। ब्रिटिश काल शहरीकरण भौगोलिक नक्शे और पर्यावरण को ध्यान में रखकर किया गया है। लेकिन पिछले २५-३० सालों में विकास की पुरानी अवधारणा को भूला कर अरावली और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ जारी है।
– डॉ. मिलन यादव, विभागाध्यक्ष भूगोल एसपीसीजीसीए
– डॉ. मिलन यादव, विभागाध्यक्ष भूगोल एसपीसीजीसीए