अजमेर

वो मुकदमा जीत गया था 1992 में, जमीन का कब्जा मिला 2019 में

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अजमेरFeb 08, 2019 / 04:24 pm

raktim tiwari

land dispute in ajmer

अजमेर.
अदालत में लम्बित मामलों को लेकर अक्सर यह कहा जाता है कि दादा मुकदमा पेश करे और पौता उसका फैसला सुने। कुछ ऐसा ही अजमेर में एक मामले में देखने को मिला। पहाडग़ंज स्थित एक भूखंड पर कब्जे को लेकर 1983 में दायर मुकदमे की कानूनी लड़ाई वर्ष 2019 में खत्म हुई। मुकदमे का फैसला भूखंड स्वामी के हक में 1992 में हो जाने के बाद आपत्तियां चलती रही, लेकिन अंत में फैसला मकान मालिक के हक में हुआ। पहाडग़ंज निवासी राणा के पुत्र मंघाराम को गुरुवार कोर्ट नाजिर राजेश जैन ने पुलिस की मौजूदगी में कब्जा संभलाया। तत्कालीन यूआईटी से आवंटित करीब 150 गज के भूखंड को चंद रुपयों में क्रय किया था, जिसकी कीमत आज लाखों में है।
प्रकरण के तथ्य
पहाडग़ंज स्थित एक भूखंड राणा को आवंटित किया गया था। इसके पड़ोस में रहने वाले शकूर ने इस पर निर्माण सामग्री व अन्य सामान डाल कर कब्जा कर लिया। मामला अदालत में 25 मार्च 1983 को पहुंचा। राणा ने बेदखली का वाद किया। जिसे अदालत ने 27 नवम्बर 1992 को राणा के पक्ष में तय कर दिया। इसके बाद राणा के पुत्र मंघाराम ने वकील जतनचंद जैन, जेपी ओझा व दीपक अग्रवाल के जरिए डिक्री की पालना करने की अर्जी लगाई।
लगाता रहा आपत्ति
प्रतिवादी शकूर ने डिक्री की पालना नहीं होने दी व आपत्ति दर आपत्ति लगाता रहा। करीब 26 साल यह कानूनी लड़ाई चली। शकूर कभी वादी को मालिक होने से इनकार करता रहा तो कभी स्वयं को काबिज होने के आधार पर मालिक बताता रहा। अंतत: अदालत ने कुर्की की कार्रवाई के आदेश देते हुए कोर्ट नाजिर जैन को पुलिस इमदाद के साथ भूखंड का कब्जा दिलाया।

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