अजमेर(Ajmer News). अजमेर रेंज के नवनियुक्त पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश का कहना है कि अपराध की रोकथाम में अब भी बीट प्रणाली कारगर है। बशर्ते बीट कांस्टेबल को अपनी बीट के अपराध, अपराधी, घटना व शांति व्यवस्था के लिए चुनौती बनने वालों की पहचान हो। बीट कांस्टेबल यदि ‘बीट थानाधिकारी’ की क्षमता से काम करे तो अपराध पर अंकुश लगाने में कामयाबी मिल सकती है।
पत्रिका’ संवाददाता मनीष कुमार सिंह को दिए साक्षात्कार में अपराध व अपराधियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिसिंग के लिहाज से एक दशक में अपराध का तरीका भी बदला है। पहले अजमेर रेंज में हाई सिक्योरिटी जेल नहीं थी, हार्डकोर अपराधी नहीं थे। संगीन अपराधों की संख्या कम थी। लेकिन जनसंख्या बढ़ने के साथ ही मादक पदार्थ तस्करी, संपत्ति संबंधी अपराध में भू-माफिया व गैंगस्टर शामिल हो गए। जातिगत झगड़े, जमीन विवाद, मादक पदार्थ और शराब तस्करी के ट्रांजिट रूट में अजमेर रेंज भी शामिल हो गई। सोशल मीडिया से माहौल बिगाड़ने की कोशिशें होती हैं। हालांकि समझदारी व कम्युनिटी पुलिसिंग से साम्प्रदायिक सौहार्द का माहौल है।
सवाल- धार्मिक नगरी पर मादक पदार्थ के ट्रांजिट पॉइंट का दाग है, कैसे दूर होगा?जवाब– मैं जिस रेंज से आया हूं वो मादक पदार्थ का ट्रांजिट रूट था। डीजी यूआर साहू ने मादक पदार्थ तस्करी की रोकथाम के लिए मुख्य सप्लायर या लीडर को पकड़ कर कोर्ट में दोष सिद्धी पर जोर दिया है। तस्कर की अर्जित संपत्ति, परिजन-रिश्तेदार व सहयोगी के नाम से बनाई गई संपत्ति जब्त कर अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई की जाती है। इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
सवाल- अपराध बढ़ने के साथ पुलिस पर भी दबाव और तनाव बढ़ा है?जवाब– यह बात सही है। काम का दबाव बढ़ा है लेकिन तनाव कम हुआ है। पुलिस के इन्फ्रा स्ट्रक्चर में इजाफा हुआ है। बीस वर्ष पहले थानों में एक चालक होता थे अब दो हैं। वाहनों की संख्या, संसाधन व नफरी अब 40 से 50 तक हो गई है। पहले एक एएसपी होते थे, अब 2 या उससे भी ज्यादा होते हैं। छोटे सर्कल बनाकर नए थाने खोले जा रहे हैं। महिला अत्याचार के मामलों के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (सिकाऊ), एससी-एसटी सेल में वृत्त कार्यालय, अभय कमांड सेंटर बना मोनिटरिंग एएसपी के पद सृजित किए गए हैं।
सवाल- अपराध पर अंकुश लगाने में तकनीक कितनी कारगर है?जवाब- अभय कमांड सेंटर पुलिस इन्फ्रा स्ट्रक्चर का हिस्सा है। तकनीकी सर्विलांस बढा है। राजमार्ग, टोल प्लाजा व मुख्य मार्गों पर उच्च गुणवत्ता वाले सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। अपराध के लिहाज से सुपरवाइजरी ऑफिसर के नए पद सृजित कर अनुसंधान में तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सवाल- मौजूदा दौर में साइबर अपराध बड़ी चुनौती साबित हो रहा है?जवाब-हर दौर में अलग चुनौती होती है। साइबर क्राइम आमजन में तकनीकी शिक्षा का अभाव और लालच के कारण बढ़े हैं। पुलिस को तकनीकी रूप से दक्ष किया जा रहा है। पहले साइबर क्राइम नहीं था। अब है तो रोकथाम के लिए साइबर सेल व साइबर थाने बन गए।
सवाल-बढ़ते महिला अपराध में पीडि़ता को त्वरित न्याय के लिए क्या प्रयास हैं?जवाब- महिला व पोक्सो एक्ट के अपराध में प्रत्येक दो माह में आईपीएस से लेकर थानाधिकारी तक की परफॉर्मेंस देखी जाती है। इसमें ऐसे मामलों का निस्तारण देखा जाता है। अनुसंधान में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की मुख्यालय सूची मांगता है।
सवाल- अपराध पर अंकुश लगाने में सीसीटीवी कितने कारगर हैं?जवाब-सीसीटीवी फुटेज की अपराध पर अंकुश व अपराधी की धरपकड़ में अहम भूमिका है। नाकाबंदी व गश्त पुरानी बात हो गई। आबादी विस्तार से शहर-कस्बों के प्रवेश-निकासी के 20-30 रास्ते हैं। जहां हमेशा नाकाबंदी सम्भव नहीं है। इसकी कमी सीसीटीवी पूरी कर रहे हैं। इससे टेक्निकल सर्विलांस बढ़ा है। होटल, ढाबे, सर्राफा बाजार में भी कम्युनिटी पुलिसिंग में सीसीटीवी लगाए जा रहे हैं।
सवाल- अजमेर में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या बढ़ी है?जवाब-विदेशी घुसपैठियों के लिए इंटेलीजेंस ब्यूरो व जोन की टीम सालभर काम करती है। इनपुट मिलने पर जिला पुलिस भी समय-समय पर संदिग्धों को चिह्नित कर कार्रवाई करती है।
सवाल-पुलिस में महिला अधिकारी व कांस्टेबल कितनी महत्वपूर्ण हैं?जवाब-महिला अधिकारी के पुलिस बेड़े में शामिल होने से काफी मदद व सकारात्मक परिणाम मिले हैं। महिला अत्याचार समेत कई संवेदनशील प्रकरणों में महिला अधिकारी की उपस्थिति जरूरी होती है।
सवाल-अपराध पर अंकुश लगाने में बीट प्रणाली कितनी कारगर है?आईजी ओमप्रकाशजवाब-पुराने जमाने से चल रही बीट प्रणाली अब भी कारगर है। पुलिस के जवान को जो बीट आवंटित की गई है उसमें उसे प्रत्येक अपराधी, घटना, कानून व्यवस्था को प्रभावित करने या तनाव पैदा करने वाले अपराधी तत्वों की जानकारी होनी चाहिए। उसे बीट थानाधिकारी की क्षमता रखनी चाहिए। बीट कांस्टेबल बीट का ज्ञान रखे तो अपराध पर अंकुश लगाया जा सकता है। बीट कांस्टेबल कम्युनिटी पुलिसिंग में सीएलजी सदस्य, पुलिस मित्र, सुरक्षा सखी, ग्राम रक्षक दल की मदद ले सकता है।
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