अजमेर नगर निगम ने बंदर पकड़ने के लिए जयपुर की फर्म को एक वर्ष का ठेका दे रखा है। ठेकेदार फर्म के नौ कार्मिकों का स्टाफ सुबह 6 से 10 बजे तक पिंजरा लगाते हैं। पिंजरे में आने के बाद बदरों को जंगलों में छोड़ा जाता है।
चार माह से बाकी भुगतान ठेकेदार फर्म का कहना है कि निगम ने गत चार माह से भुगतान नहीं कर ठेका राशि भी घटा दी है। ऐसे में स्टाफ को रखना मुश्किल हो रहा है। निगम की ओर से प्रति बंदर भुगतान किया जाता है। गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष ठेका राशि भी घटा दी है।घायल हो रहे लोग, सामान का नुकसान
क्षेत्र के वैशाली नगर, अशोक विहार, आनंद नगर, दिल्ली गेट, नया बाजार, जनाना अस्पताल सहित कई क्षेत्रों में बंदराें का आतंक है। बंदर सुबह से ही घरों पर मंडराते रहते हैं। घरों में घुस कर सामान बिखेर देते हैं। तार उखाड़ देते हैं। कई लोगों को जख्मी कर चुके हैं।
आंकड़ों में काम 24 लाख रुपए – गत वर्ष ठेका राशि1500 बंदर – पकड़े 15 लाख – ठेका राशि वर्तमान सत्र 850 बंदर – इस वर्ष पकड़े, 31 मार्च तक ठेका अवधि।
1800 रुपए – प्रति बंदर पकड़ने की राशि 3000 – बंदर अब भी शहर में मौजूद इनका कहना है पिंजरों की संख्या 6 से बढ़ा कर 11 करने को कहा गया है। त्वरित कार्रवाई करने के लिए पाबंद किया गया है। बकाया भुगतान की कोई बात निगम प्रशासन से लिखित में नहीं की गई है।श्यामलाल जांगिड़, सचिव नगर निगम अजमेर।