पंजाब के मोहाली से आए घोड़े के मालिक गुरु प्रताप सिंह गिल ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में इसकी खासियत, खान-पान, क्यों है भारत का सबसे उंचा घोड़ा, इसकी कीमत को लेकर कई प्रकार की जानकारी साझा की। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि ये घोड़ा राजस्थान के जोधपुर राजघराने से खरीदा गया है। ‘कर्मदेव’ घोड़े के पिता द्रोणा, दादा शानदार और परदादा आलीशान हैं। गुरु प्रताप सिंह गिल ने बताया कि इसके पुर्वज रोहितगढ़ से निकले हैं। उन्होंने बताया कि अभी कर्मदेव की उम्र लगभग साढ़े चार साल है और ऊंचाई 72 इंच है।
पत्रिका : आप किस आधार पर कर्मदेव घोड़े को भारत का सबसे उंचा होने का दावा कर रहे हैं? जवाब: घोड़े के मालिक गुरु प्रताप सिंह गिल ने दावा किया कि ये भारत का सबसे उंचा घोड़ा है। उन्होंने जवाब दिया कि मैंने लगभग पूरे भारत में घोड़ों के शो, रेस और स्टड फॉर्म का दौरा किया, कहीं भी मुझे इतनी हाइट का घोड़ा नहीं मिला। कहा कि जब घोड़े की हाइट बढ़ती है तो ब्यूटी कम हो जाती है, लेकिन इसकी हाइट बढ़ने के बाद भी ब्यूटी कम नहीं हुई है।
सवाल : कर्मदेव की एक दिन की डाइट क्या रहती है? इसके खाने में कितना खर्च होता है? जवाब : गुरु प्रताप सिंह गिल ने बताया कि हम इनकी डाइट पर स्पेशल ध्यान देते हैं। एक फॉर्मूले के तहत खाना खिलाया जाता है। इसमें ओट्स, बारले, सोयाबिन, चना, बायोटिन, जिंक, केल्सियम, कॉपर, टॉक्सिन बाइंडर आदि फीड में शामिल किया जाता है। उन्होने बताया कि ढ़ाई से तीन किलो फीड में ही इसकी जरूरत पूरी करते हैं। जानकारी दी कि इसके खान पर एक माह का लगभग 2 लाख खर्चा आ जाता है।
सवाल : आप किस आधार पर इसकी कीमत तय करते हैं? और इतनी कीमत क्यों है? जवाब : कर्मदेव घोड़े के मालिक ने बताया कि हमारे दूसरे घोड़े की कीमत साढ़े सात करोड़ लग चुकी है, इसके अभी दो-तीन ही बच्चे आए हैं। जब तक 20-25 बच्चे नहीं आ जाते तब तक बेचने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने बताया कि एक माह में अगर 10 घोड़ी भी कवरिंग के लिए आती है तो हम एक बार का चार्ज 2 लाख रुपये करते हैं। इसी हिसाब से इनकी कीमत तय होती है। इनका मार्केट ज्यादातर ब्रिडिंग और शो के लिए ही होता है।
सवाल : आपने बताया कि कर्मदेव के पिता जोधपुर राजघराने से हैं, क्या इन राजघरानों ने कभी आपसे रिटर्न खरीदा है? जवाब : प्रताप सिंह गिल ने बताया कि वैसे तो ये बात विवादित हो जाएगी, लेकिन कोई जिस रेट में बेचता है उसी घोड़े को डबल रेट में नहीं खरीदता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान के राजघरानों के पास इतना टाइम नहीं है, उनके मैनेजर आते हैं वो महँगा घोड़ा खरीदना नहीं जानते, वो तो कोई पड़ोस से ही सस्ता खरीद लेते हैं। उनको खरीदना नहीं आता है।