पुष्कर ( Pushkar ) से करीब 4 किलोमीटर दूर जयपुर मार्ग पर स्थित सुधाबाय कुंड पर आज प्रेत बाधा मुक्ति का मेला लगा। पुराणों के अनुसार परंपरागत मान्यता है कि इस सुधाबाय कुंड ( Sudhabay Kund ) में स्नान करने से लंबे समय से प्रेत बाधा, अदृश्य आत्माओं से घिरे लोगों को आसानी से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही यहां पर पितरों का पिंडदान करने से बिहार के बौद्ध गया ( bodh gaya ) तीर्थ में पिंडदान करने के बराबर पुण्य मिलता है। यही कारण है कि यहां पर सुधाबाय कुंड पर लोगों द्वारा स्नान करने के लिए ताता लगा हुआ है।
इस वैज्ञानिक युग में कोई प्रेत बाधा, अदृश्य आत्माओं को माने या ना माने, लेकिन पुष्कर से करीब 4 किलोमीटर दूर बूढ़ा पुष्कर तीर्थ के पास सुधाबाय कुंड नामक एक ऐसा स्थान है जहां पर स्नान करने से लंबे समय से अदृश्य आत्माओं, प्रेत बाधाओं से घिरे पीडि़त को आसानी से मुक्ति मिल जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और मंगलवार तीनों के एक साथ सहयोग होने पर सुधाबाय कुंड पर मेला लगता है। इस कुंड में स्नान करने से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
शरीर से निकल जाने की सौगंध लेती है अदृश्य आत्माएं प्रत्यक्ष घटना के तथ्यों पर नजर डालें तो कुंड में स्नान करते समय आसानी से देखा जा सकता है कि महिला पुरुषों में कुंड में स्नान करने के साथ ही अदृश्य आत्माएं स्वयं अपनी भाषा बोलती है। अपना नाम पता बोलती है तथा उसका शरीर से निकल जाने की सौगंध लेती है। स्नान करने के बाद कुछ समय में ही प्राणी हंसता हुआ स्नान करता है तथा कुंड से बाहर आता है। प्रेत बाधा मुक्ति निवारण के समय इस घाट पर जिस भी व्यक्ति में प्रेत या अन्य आत्माएं प्रवेश की होती है स्नान करने के साथ ही जोर जोर से चीखता है अपना नाम बताता है पुरोहित मंत्र बोलते हैं उसके बाद वह आत्मा उस पीडि़त के शरीर से बाहर निकल जाती है। आज चतुर्थी शुक्ल पक्ष का यही संयोग होने के कारण सुधाबाय कुंड पर प्रात: से ही मेला लगा हुआ है। लोग अपने सुख शांति की कामना करने में तल्लीन दिखाई पड़ रहे हैं।
पिंडदान एवं तर्पण करने का भी पौराणिक महत्व
पुष्कर के सुधाबाय कुंड में स्नान करने के साथ-साथ यहां पर अपने पितरों की शांति के लिए पिंडदान एवं तर्पण करने का भी पौराणिक महत्व बताया जाता है पंडित मुकेश पाराशर का कहना है कि बिहार के बोधगया तीर्थ में स्नान करने पिंडदान करने के बराबर फल मिलता है। मुकेश पाराशर का कहना है कि यहां पर शुक्ल पक्ष चतुर्थी मंगलवार के त्रि-संयोग के अवसर पर गया माता स्वयं विराजमान रहती है। यही कारण है कि यहां पर दूर-दराज से लोग अपने पित्र, शांति तर्पण, पिंडदान करने के लिए आते हैं तथा उन्हें बोधगया नहीं जाना पड़ता है।
पुष्कर के सुधाबाय कुंड में स्नान करने के साथ-साथ यहां पर अपने पितरों की शांति के लिए पिंडदान एवं तर्पण करने का भी पौराणिक महत्व बताया जाता है पंडित मुकेश पाराशर का कहना है कि बिहार के बोधगया तीर्थ में स्नान करने पिंडदान करने के बराबर फल मिलता है। मुकेश पाराशर का कहना है कि यहां पर शुक्ल पक्ष चतुर्थी मंगलवार के त्रि-संयोग के अवसर पर गया माता स्वयं विराजमान रहती है। यही कारण है कि यहां पर दूर-दराज से लोग अपने पित्र, शांति तर्पण, पिंडदान करने के लिए आते हैं तथा उन्हें बोधगया नहीं जाना पड़ता है।
वैज्ञानिक युग के बीच जल में स्नान करने के बाद अदृश्य आत्माओं से आसानी से मुक्ति पा जाना एक समाचार चमत्कारी घटना ही कही जा सकती है अभी भी कुछ लोग इस बात पर भले ही विश्वास नहीं करते हो, लेकिन सुधाबाय कुंड पर आकर जब दृश्य को देखा जाता है तब अनायास ही मन अंधविश्वास से परे हटकर पीड़ा से मुक्ति पाने की चमत्कारी शक्ति को स्वीकार करने से नहीं हट सकता है।