अजमेर

22 जिलों की 64 तहसीलों तक नहीं पहुंची डिजिटल इंडिया की क्रांति

मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री के क्षेत्र में ही पिछड़े
12 साल बाद भी नहीं हो सकी तहसीलें ऑनलाइन
काश्तकारों व आमजन को नहीं मिल रहा है लाभ

अजमेरJun 24, 2021 / 10:05 pm

bhupendra singh

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भूपेन्द्र सिंह
अजमेर . केन्द्र सरकार की डिजिटल इंडिया Digital India लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के तहत राज्य की तहसीलों tehsils को ऑनलाइन किए जाने का काम कछुआ चाल से चल रहा है। वर्ष 2009 से चल रह इस प्रोजेक्ट पर अब तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन राज्य के 22 जिलों की 64 तहसीलें अभी तक ऑनलाइन नहीं हो सकी। मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर व राजस्व मंत्री के गृह बाड़मेर जिले में तो तहसीलों के ऑनलाइन किए जाने का काम सबसे सुस्त रफ्तार से चल रहा है। इन दोनो जिलों की 8-8 तहसील अब तक ऑनलाइन नहीं हो सकी। राज्य में इन दो जिलों में यह संख्या सर्वाधिक है। डीआईएलआरएमपी के तहत तहसीलों के इसकी मॉनेटरिंग भू-प्रबन्ध आयुक्त की है जबकि एनआईसी दिल्ली इसके लिए टेक्नीकल सपोर्ट देती है। जो तहसीलें ऑनलाइन नहीं है वहां काश्तकार व आमजन सामान्य कामकाज के लिए तहसील व पटवारी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
यह तहसीलें नहीं हो सकी ऑनलाइन

जोधपुर की बालेसर,जोधपुर, फलौदी, शेरगढ़,बाप, लूणी, शेखाला तथा देंचू तहसील तथा बाड़मेर जिले की सेडवा, बाड़मेर, गुढ़ामलानी, चौहटन, गडऱारोड, शिव, पचपदरा,धनाऊ तहसील ऑनलाइन नहीं हो सकी। इनके अलावा जहापुर,कोटड़ी ,डीडवाना, निवाई मालपुरा, सपोटरा,करौली, रूपवास, उच्चैन, खंडार, बज्जू, लूणकरणसर,भादरा, हनुमानगढ़, सांगरिया, छबड़ा,छीपाबड़ोद, शाहबाद, केशोरायपाटन, मुंडावर, रामगंढ पचवारा, राहुवास,लालसोट, वल्लभनगर, भींडर,कनोड़, बेगू व चित्तौडगढ़़, बिच्छीवाड़ा ,डूंगरपुर ,गढबोर कुंभलगढ़, चितलवाना, रेवदर, पिंडवाड़ा , शिवगंज, रोहट तहसील को ऑनलाइन होने का इंतजार है।
11 जिलों की सभी तहसीलें ऑनलाइन

अब तक राज्य की 339 तहसीलों में से 285 तहसीलों को ऑनलाइन करते हुए अधिसूचना जारी की जा चुकी है। 46 हजार 720 गावों की 1 लाख 29 हजार 664 शीटें डिजिटाइज्ड की जा चुकी हैं। 93 हजार 889 शीटें पूर्ण कर ई-धरती सॉफ्टवेयर से लिंक की जा चुकी हैं। जयपुर, सीकर, चूरू, झुंझूनूं, जैसलमेर, झालावाड़, अजमेर, कोटा, धौलपुर तथा बांवाड़ा सहित 11 जिलों की सभी तहसीलें ऑनलाइन हो चुकी हैं।
तहसील ऑनलाइन से फायदा

तहसील के ऑनलाइन होने से काश्तकार को हर काम के लिए पटवारी के चक्कर से मुक्ति मिलती है। जमाबंदी, गिरदावरी और नक्शे की नकल किसी भी ई-मित्र या स्वयं के कम्प्यूटर व लैपटॉप व मोबाइल पर कहीं भी रिकॉर्ड देखा और प्रिंट लिया जा सकता है। म्यूटेशन के बाद अपडेशन स्वयं होगा,नामांतरण,अपडेट हो जाएगा। डिजिटल रिकॉर्ड नेट पर उपलब्ध होने से समस्त रिकॉर्ड,नक्शे में तरमीम अपनडेट की जाती है। हर खाता अपडेट होता है। विरासत से या बेचान से अन्य किसी भी प्रकार से हो बैंक रेहन या रेहन मुक्ति हो खाता अपडेट हो जाएगा। बैंक लोन लेने में आसानी। रिकॉर्ड अपडेड होने से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी),प्रधानमंत्री सम्मान निधि लेने में आसानी होती है। तहसील ऑनलाइन होने से कार्मिक वर्क फ्रॉम होम भी कर सकते हैं। भविष्य में इसका विशेष फायदा होगा।
इसलिए आ रही है दिक्कत

कई जगहों पर रिकॉर्ड तो कई तहसीलों में तकनीकी समस्या आड़े आ रही है। कुछ ग्रामों के कक्शे कटे-फटे व जीर्णशीर्ण हैं। मालपुरा तहसील में नक्शे ही उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में गावों के पूर्ण नक्शे डिजिटाइजेशन में समस्या आ रही है। अधिकांश तहसीलों में 50 वर्ष से अधिक समय से भू-प्रबन्ध कार्य नहीं होने से तरमीम कार्य लम्बित होने से राजस्व कार्मिकों को अधिक समय लग रहा है। राज्य के 4800 पटवार हल्के रिक्त हैं,पटवारी हड़ताल पर है। इससे तहसीलों के ऑनलाइन होने का काम ठप हो गया है। तहसील के कुछ पटवार हल्कों में काम नहीं होने के कारण शेष तहसील का रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने से इन्हें ऑनलाइन नहीं किया जा सका।
राजस्वमंत्री ने दिए निर्देश

तहसील रिकॉर्ड सेग्रीगेशन का काम होता है। इससे खातेदार का हिस्सा दर्ज होता है। नक्शे डिजिटल कर ,गांव-तहसील का रकबा अपडेट कर तथा रेवन्यू बोर्ड भेजा जाता है। रेवन्यू बोर्ड की अनुशंषा के साथ इसे सरकार को भेजता है। इसके बाद सरकार अधिसूचना जारी करती है। राजस्व मंत्री तथा, भू प्रबन्ध आयुक्त तथा शासन सचिव राजस्व ने वीसी के जरिए तहसीलों के ऑनलाइन काम को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए है।
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