भिनाय की कोड़ा मार होली देश-विदेश तक चर्चित रहती है। यहां रस्सों को होली से दो-तीन दिन पहले ही पानी में डुबो कर विशेष कोवड़े (कोड़े) तैयार किए जाते हैं। धूलंडी पर मुख्य बाजार में चौक और कावडिय़ों के दल के बीच कौड़ा मार होली खेली जाती है। पुरानी मान्यता के अनुसार चौक को राजा और कावडिय़ों को रानी का दल माना जाता है। दोनों दल एकदूसरे पर कौड़े बरसाते हैं। जो दल भैरूंजी के स्थान के आगे पहुंचता है, उसे विजेता घोषित किया जाता है। कौड़े की मार से बचने के लिए सिर पर साफा, हाथ-पैर पर कपड़े लपेटे जाते हैं।
ब्यावर की बादशाह की सवारी बेहद मशहूर है। यहां गुलाल से भरे ट्रक में बादशाह अकबर सवार होते हैं। इनके आगे बीरबल नृत्य करते हुए चलते हैं। बादशाह अकबर कागज में गुलाल भरकर लोगों की तरफ उछालते हैं। स्थानीय लोग इसे खर्ची कहते हैं। यह खर्ची बेहद शुभ मानी जाती है। लोग इसे अपने घरों में संरक्षित भी रखते हैं। बादशाह के साथ होली खेलने के लिए लोगों में विशेष उत्सुकता रहती है। सवारी देर शाम तक उपखंड कार्यालय पहुंचती है। यहां कुछ पलों के लिए बादशाह अकबर और बीरबल को शहर की प्रतीकात्मक रूप से कमान सौंपी जाती है। अकबर कुछ फरमान भी जारी करते हैं।