महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में परीक्षा संचालन के लिए गठित डीन कमेटी की बैठक 11 फरवरी को होगी। राजभवन ने इस बाबत पत्र भिजवा दिया है। कमेटी की बैठक अब प्रबंध मंडल (बॉम) कक्ष में होगी। पूर्व में बैठक के स्थान और संयोजक को लेकर गतिरोध बना था। इसको देखते हुए राजभवन ने यह पत्र भिजवाया है।
कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर लगी रोक के चलते राजभवन ने पिछले दिनों डीन कमेटी का गठन किया था। इसमें विज्ञान के डीन प्रो. प्रवीण माथुर, सामाजिक विज्ञान के डीन प्रो. शिवदयाल सिंह सहित कुलसचिव और वित्त नियंत्रक शामिल हैं। 31 जनवरी को डीन कमेटी की बैठक होनी थी। दोनों डीन को कुलसचिव कार्यालय बैठक होने का पत्र भिजवाया गया। डीन ने बैठक का संयोजक बताने और कुलसचिव कार्यालय के बजाय कुलपति चैंबर या प्रबंध मंडल (बॉम ) कक्ष में कराने का सुझाव दिया। इसको लेकर कुलसचिव और डीन में सहमति नहीं बन पाई। डीन और कुलसचिव ने इससे राजभवन सहित उच्च शिक्षा विभाग को अवगत कराया।
राजभवन से मिला पत्र
बैठक को लेकर उपजे गतिरोध के चलते राजभवन ने विश्वविद्यालय को पत्र भिजवाया है। कमेटी में किसी को भी संयोजक या अन्य अहम पद नहीं दिया गया है। साथ ही बैठक को विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल (बॉम) कक्ष में कराने को कहा गया है।
बैठक को लेकर उपजे गतिरोध के चलते राजभवन ने विश्वविद्यालय को पत्र भिजवाया है। कमेटी में किसी को भी संयोजक या अन्य अहम पद नहीं दिया गया है। साथ ही बैठक को विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल (बॉम) कक्ष में कराने को कहा गया है।
सवालों के घेरे में डीन कमेटी?
राजभवन स्तर पर बनाई गई डीन कमेटी सवालों के घेरे में है। विधानसभा में साल 2017 में पारित एक्ट में किसी डीन कमेटी का प्रावधान नहीं रखा गया है। साथ ही कार्यपालक अधिकारी होने के कारण कुलसचिव और वित्त नियंत्रक भी कमेटी में शामिल नहीं हो सकते हैं। हालांकि राजभवन ने सिर्फ परीक्षात्मक कार्यों के संचालन के लिए कमेटी बनाई है। इसके चलते कमेटी कुलपति के समान अहम शैक्षिक-प्रशासनिक कामकाज नहीं कर सकती है।
राजभवन स्तर पर बनाई गई डीन कमेटी सवालों के घेरे में है। विधानसभा में साल 2017 में पारित एक्ट में किसी डीन कमेटी का प्रावधान नहीं रखा गया है। साथ ही कार्यपालक अधिकारी होने के कारण कुलसचिव और वित्त नियंत्रक भी कमेटी में शामिल नहीं हो सकते हैं। हालांकि राजभवन ने सिर्फ परीक्षात्मक कार्यों के संचालन के लिए कमेटी बनाई है। इसके चलते कमेटी कुलपति के समान अहम शैक्षिक-प्रशासनिक कामकाज नहीं कर सकती है।