सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में भूगोल विषय की हाइटेक लेब बनकर तैयार हो गई है। इसमें जल्द अजमेर सहित प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्रों पर शोध, वन और जलाशयों में कमी, जीआईएस सर्वेक्षण के अलावा अन्य कार्य प्रारंभ होंगे।
1836 में स्थापित एसपीसी-जीसीए की प्रदेश में अलग पहचान है। कॉलेज शैक्षिक और सह शैक्षिक गतिविधियों में बरसों से अव्वल रहा है। यहां के केमिस्ट्री, भूगोल, जूलॉजी, बॉटनी और अन्य विभागों की देश-दुनिया में पहचान है। इन विभागों से निकले विद्यार्थी प्रशासनिक, उच्च, तकनीकी शिक्षा, सेना और अन्य महकमों में कार्यरत हैं। इसको ध्यान में रखते हुए कॉलेज के भूगोल विभाग ने हाइटेक लेब तैयार कराई है।
सांसद ने दिए 25 लाख रुपए
राज्यसभा सांसद डॉ. भूपेंद्र यादव ने भूगोल विभाग में हाइटेक लेब बनाने के लिए 25 लाख रुपए मंजूर किए हैं। भूगोल विभाग के पिछवाड़े एक हॉल, टॉयलेट और गलियारा बनाया गया है। कॉलेज के हेरिटेज डिजाइन को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण हुआ है। ताकि नया भवन अलग नजर नहीं आए। मालूम हो कि सांसद यादव ने भी राजकीय महाविद्यालय से पढ़ाई की है।
राज्यसभा सांसद डॉ. भूपेंद्र यादव ने भूगोल विभाग में हाइटेक लेब बनाने के लिए 25 लाख रुपए मंजूर किए हैं। भूगोल विभाग के पिछवाड़े एक हॉल, टॉयलेट और गलियारा बनाया गया है। कॉलेज के हेरिटेज डिजाइन को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण हुआ है। ताकि नया भवन अलग नजर नहीं आए। मालूम हो कि सांसद यादव ने भी राजकीय महाविद्यालय से पढ़ाई की है।
शुरू होंगे उत्कृष्ट शोध कार्य
भूगोल विभाग के रीडर डॉ. मिलन यादव ने बताया कि प्रस्तावित हाइटेक लेब में नियमित अध्ययन-अध्यापन के अलावा उत्कृष्ट शोध कार्य शुरू होंगे। यहां जीआईएस, कम्प्यूटर, इंटरनेट जैसी सुविधाएं होंगी। अजमेर जिले और प्रदेश की नदियों, बांध, तालाब और जलाशयों, भौगोलिक स्थिति, अरावली पर्वत श्रंखला, वन सम्पदा पर विस्तृत शोध हो सकेगा। भविष्य में राष्ट्रीय स्तरीय संस्थानों से बड़े प्रोजेक्ट लाए जाएंगे। यहां राजस्थान के अलावा देश की भौगोलिक स्थिति का आकलन एवं शोध किया जा सकेगा।
भूगोल विभाग के रीडर डॉ. मिलन यादव ने बताया कि प्रस्तावित हाइटेक लेब में नियमित अध्ययन-अध्यापन के अलावा उत्कृष्ट शोध कार्य शुरू होंगे। यहां जीआईएस, कम्प्यूटर, इंटरनेट जैसी सुविधाएं होंगी। अजमेर जिले और प्रदेश की नदियों, बांध, तालाब और जलाशयों, भौगोलिक स्थिति, अरावली पर्वत श्रंखला, वन सम्पदा पर विस्तृत शोध हो सकेगा। भविष्य में राष्ट्रीय स्तरीय संस्थानों से बड़े प्रोजेक्ट लाए जाएंगे। यहां राजस्थान के अलावा देश की भौगोलिक स्थिति का आकलन एवं शोध किया जा सकेगा।
हाइटेक हुआ विभाग भूगोल विभाग हाइटेक हो चुका है। यहां विद्यार्थियों को स्मार्ट क्लास, ई-लर्निंग सॉफ्टवेयर से पढ़ाई और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। कम्प्यूटर लेब में नि:शुल्क इन्टरनेट सुविधा मुहैया कराई गई है। विद्यार्थियों के लिए एक पुस्तकालय भी तैयार किया गया है। विभाग ने एक हाइटेक कॉन्फे्रंस रूम भी बनाया है।